20-03-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - इस पुरानी दुनिया में अल्पकाल क्षण भंगुर सुख है, यह साथ नहीं चल सकता, साथ में अविनाशी ज्ञान रत्न चलते हैं, इसलिए अविनाशी कमाई जमा करो''

प्रश्नः-
बाप की पढ़ाई में तुम्हें कौन-सी विद्या नहीं सिखाई जाती है?

उत्तर:-
भूत विद्या। किसी के संकल्पों को रीड करना, यह भूत विद्या है, तुम्हें यह विद्या नहीं सिखाई जाती। बाप कोई थॉट रीडर नहीं है। वह जानी जाननहार अर्थात् नॉलेजफुल है। बाप आते हैं तुम्हें रूहानी पढ़ाई पढ़ाने, जिस पढ़ाई से तुम्हें 21 जन्मों के लिए विश्व की राजाई मिलती है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप की याद से अपार सुखों का अनुभव करने के लिए बुद्धि की लाइन क्लीयर चाहिए। याद जब अग्नि का रूप ले तब आत्मा सतोप्रधान बनें।

2) बाप कौड़ियों के बदले रत्न देते हैं। ऐसे भोलानाथ बाप से अपनी झोली भरनी है। शान्त में रहने की पढ़ाई पढ़ सद्गति को प्राप्त करना है।

वरदान:-
माया के बन्धनों से सदा निर्बन्धन रहने वाले योगयुक्त, बन्धनमुक्त भव

बन्धनमुक्त की निशानी है सदा योगयुक्त। योगयुक्त बच्चे जिम्मेवारियों के बंधन वा माया के बन्धन से मुक्त होंगे। मन का भी बन्धन न हो। लौकिक जिम्मेवारी तो खेल हैं, इसलिए डायरेक्शन प्रमाण खेल की रीति से हंसकर खेलो तो कभी छोटी-छोटी बातों में थकेंगे नहीं। अगर बंधन समझते हो तो तंग होते हो। क्या, क्यों का प्रश्न उठता है। लेकिन जिम्मेवार बाप है आप निमित्त हो। इस स्मृति से बन्धनमुक्त बनो तो योगयुक्त बन जायेंगे।

स्लोगन:-
करनकरावनहार की स्मृति से भान और अभिमान को समाप्त करो।

अव्यक्त इशारे - सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ

अपवित्रता सिर्फ किसको दु:ख देना या पाप कर्म करना नहीं है लेकिन स्वयं में सत्यता, स्वच्छता विधिपूर्वक अगर अनुभव करते हो तो पवित्र हो। जैसे कहावत है सत्य की नांव डूबती नहीं है लेकिन डगमग होती है। तो विश्वास की नांव सत्यता है, ऑनेस्टी है जो डगमग होगी लेकिन डूबेगी नहीं इसलिए सत्यता की हिम्मत से परमात्म प्रत्यक्षता के निमित्त बनो।