20-05-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम बाप से
भक्ति का फल लेने आये हो, जिन्होंने जास्ती भक्ति की होगी वही ज्ञान में आगे जायेंगे''
प्रश्नः-
कलियुगी राजाई
में किन दो चीज़ों की जरूरत रहती है जो सतयुगी राजाई में नहीं होगी?
उत्तर:-
कलियुगी राजाई
में 1. वजीर और 2. गुरू की जरूरत रहती है। सतयुग में यह दोनों ही नहीं होंगे। वहाँ
किसी की राय लेने की दरकार नहीं क्योंकि सतयुगी राजाई संगम पर बाप की श्रीमत से
स्थापन होती है। ऐसी श्रीमत मिलती है जो 21 पीढ़ी तक चलती है और सब सद्गति में हैं
इसलिए गुरू की भी दरकार नहीं है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बेहद बाप से बेहद का वर्सा लेने के लिए पावन जरूर बनना है। जब अभी
पवित्रता का वर्सा लो अर्थात् काम जीत बनो तब जगतजीत बन सकेंगे।
2) बेहद बाप से पढ़ाई पढ़कर स्वयं को कौड़ी से हीरे जैसा बनाना है। बेहद का सुख
लेना है। नशा रहे - मनुष्य से देवता बनाने वाला बाप अभी हमारे सम्मुख है, अभी है
हमारा यह सर्वोत्तम ब्राह्मण कुल।
वरदान:-
ज्ञान सम्पन्न
दाता बन सर्व आत्माओं के प्रति शुभचिंतक बनने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी भव
शुभ-चिंतक बनने का विशेष
आधार शुभ चिंतन है। जो व्यर्थ चिंतन वा परचिंतन करते हैं वह शुभ चिंतक नहीं बन सकते।
शुभचिंतक मणियों के पास शुभ-चिंतन का शक्तिशाली खजाना सदा भरपूर होगा। भरपूरता के
कारण ही औरों के प्रति शुभचिंतक बन सकते हैं। शुभचिंतक अर्थात् सर्व ज्ञान रत्नों
से भरपूर, ऐसे ज्ञान सम्पन्न दाता ही चलते-फिरते हर एक की सेवा करते श्रेष्ठ
सेवाधारी बन जाते हैं।
स्लोगन:-
विश्व
राज्य अधिकारी बनना है तो विश्व परिवर्तन के कार्य में निमित्त बनो।