20-07-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
मीठे बच्चे - माया रावण के
संग में आकर तुम भटक गये, पवित्र पौधे अपवित्र बन गये, अब फिर पवित्र बनो।
प्रश्नः-
हर एक बच्चे
को अपने ऊपर कौन-सा वन्डर लगता है? बाप को बच्चों पर कौन-सा वन्डर लगता है?
उत्तर:-
बच्चों को
वन्डर लगता कि हम क्या थे, किसके बच्चे थे, ऐसे बाप का हमें वर्सा मिला था, उस बाप
को ही हम भूल गये। रावण आया इतनी फागी आ गई जो रचयिता और रचना सब भूल गया। बाप को
बच्चों पर वन्डर लगता, जिन बच्चों को मैंने इतना ऊंच बनाया, राज्य-भाग्य दिया, वही
बच्चे मेरी ग्लानि करने लगे। रावण के संग में आकर सब कुछ गँवा दिया।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) शिवालय में जाने के लिए इन विकारों को निकालना है। इस वेश्यालय से
दिल हटाते जाना है। शूद्रों के संग से किनारा कर लेना है।
2) जो कुछ बीता उसे ड्रामा समझ कोई भी विचार नहीं करना है। अहंकार में कभी नहीं
आना है। कभी शिक्षा मिलने पर फंक नहीं होना है।
वरदान:-
खुशियों के
खजाने से सम्पन्न बन दु:खी आत्माओं को खुशी का दान देने वाले पुण्य आत्मा भव
इस समय दुनिया में हर समय
का दु:ख है और आपके पास हर समय की खुशी है। तो दु:खी आत्माओं को खुशी देना - यह सबसे
बड़े से बड़ा पुण्य है। दुनिया वाले खुशी के लिए कितना समय, सम्पत्ति खर्च करते हैं
और आपको सहज अविनाशी खुशी का खजाना मिल गया। अब सिर्फ जो मिला है उसे बांटते जाओ।
बांटना माना बढ़ना। जो भी सम्बन्ध में आये वह अनुभव करे कि इनको कोई श्रेष्ठ
प्राप्ति हुई है जिसकी खुशी है।
स्लोगन:-
अनुभवी
आत्मा कभी भी किसी बात से धोखा नहीं खा सकती, वह सदा विजयी रहती है।