21-03-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें अपने
योगबल से सारी सृष्टि को पावन बनाना है, तुम योगबल से ही माया पर जीत पाकर जगतजीत
बन सकते हो''
प्रश्नः-
बाप का पार्ट
क्या है, उस पार्ट को तुम बच्चों ने किस आधार पर जाना है?
उत्तर:-
बाप का पार्ट
है - सबके दु:ख हरकर सुख देना, रावण की जंजीरों से छुड़ाना। जब बाप आते हैं तो भक्ति
की रात पूरी होती है। बाप तुम्हें स्वयं अपना और अपनी जायदाद का परिचय देते हैं।
तुम एक बाप को जानने से ही सब कुछ जान जाते हो।
गीत:-
तुम्हीं हो
माता पिता तुम्हीं हो........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कलियुगी सर्व कर्मबन्धनों को बुद्धि से भूल 5 विकारों का दान कर आत्मा
को सतोप्रधान बनाना है। एक ही साइलेन्स के शुद्ध घमण्ड में रहना है।
2) इस रूद्र यज्ञ में खुशी से अपना तन-मन-धन सब अर्पण कर सफल करना है। इस समय सब
कुछ बाप हवाले कर 21 जन्मों की बादशाही बाप से ले लेनी है।
वरदान:-
रोब के अंश का
भी त्याग करने वाले स्वमानधारी पुण्य आत्मा भव
स्वमानधारी बच्चे सभी को
मान देने वाले दाता होते हैं। दाता अर्थात् रहमदिल। उनमें कभी किसी भी आत्मा के
प्रति संकल्प मात्र भी रोब नहीं रहता। यह ऐसा क्यों? ऐसा नहीं करना चाहिए, होना नहीं
चाहिए, ज्ञान यह कहता है क्या...यह भी सूक्ष्म रोब का अंश है। लेकिन स्वमानधारी
पुण्य आत्मायें गिरे हुए को उठायेंगी, सहयोगी बनायेंगी वह कभी यह संकल्प भी नहीं कर
सकती कि यह तो अपने कर्मो का फल भोग रहे हैं, करेंगे तो जरूर पायेंगे.. इन्हें गिरना
ही चाहिए...। ऐसे संकल्प आप बच्चों के नहीं हो सकते।
स्लोगन:-
सन्तुष्टता और प्रसन्नता की विशेषता ही उड़ती कला का अनुभव कराती है।
अव्यक्त इशारे -
सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ
सत्यता के शक्ति
की निशानी है “निर्भयता''। कहा जाता है ‘सच तो बिठो नच' अर्थात् सत्यता की शक्ति
वाला सदा बेफिकर निश्चिन्त होने के कारण, निर्भय होने के कारण खुशी में नाचता रहेगा।
यदि अपने संस्कार वा संकल्प कमजोर हैं तो वह कमजोरी ही मन की स्थिति को हलचल में
लाती है इसलिए पहले अपनी सूक्ष्म कमजोरियों को अविनाशी रूद्र यज्ञ में स्वाहा करो।