22-05-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हें कर्मातीत बनकर जाना है, इसलिए अन्दर में कोई भी फ्लो नहीं रहना चाहिए, अपनी जांच कर कमियां निकालते जाओ''

प्रश्नः-
किस अवस्था को जमाने में मेहनत लगती है? उसका पुरूषार्थ क्या है?

उत्तर:-
इन आंखों से देखने वाली कोई भी चीज़ सामने न आये। देखते भी न देखो। देह में रहते देही-अभिमानी रहो। यह अवस्था जमाने में टाइम लगता है। बुद्धि में सिवाए बाप और घर के कोई वस्तु याद न आये, इसके लिए अन्तर्मुखी हो अपनी जांच करनी है। अपना चार्ट रखना है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सभी से ममत्व निकाल एक लवली बाप को याद करना है। अन्तर्मुख हो अपनी कमियों की जांच कर निकालना है। वैल्युबुल हीरा बनना है।

2) जैसे बाप ने हम बच्चों को श्रृगांर किया है, ऐसे सबका श्रृगांर करना है। कांटों को फूल बनाने की सेवा में लग जाना है। ट्रस्टी होकर रहना है।

वरदान:-
ब्राह्मण जीवन में एकव्रता के पाठ द्वारा रूहानी रॉयल्टी में रहने वाले सम्पूर्ण पवित्र भव

इस ब्राह्मण जीवन में एकव्रता का पाठ पक्का कर प्युरिटी की रॉयल्टी को धारण कर लो तो सारे कल्प में यह रूहानी रॉयल्टी चलती रहेगी। आपके रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की चमक परमधाम में सर्व आत्माओं में श्रेष्ठ है। आदिकाल देवता स्वरूप में भी यह पर्सनैलिटी विशेष रही है, फिर मध्यकाल में भी आपके चित्रों की विधिपूर्वक पूजा होती है। इस संगमयुग पर ब्राह्मण जीवन का आधार प्युरिटी की रॉयल्टी है इसलिए जब तक ब्राह्मण जीवन में जीना है तब तक सम्पूर्ण पवित्र रहना ही है।

स्लोगन:-
आप सहनशीलता के देव और देवी बनो तो गाली देने वाले भी गले लगायेंगे।