22-11-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप की श्रीमत पर चलना ही बाप का रिगार्ड रखना है, मनमत पर चलने वाले डिसरिगार्ड करते हैं''

प्रश्नः-
गृहस्थ व्यवहार में रहने वालों को किस एक बात के लिए बाबा मना नहीं करते लेकिन एक डायरेक्शन देते हैं - वह कौन सा?

उत्तर:-
बाबा कहते - बच्चे, तुम भल सभी के कनेक्शन में आओ, कोई भी नौकरी आदि करो, सम्पर्क में आना पड़ता है, रंगीन कपड़े पहनने पड़ते हैं तो पहनो, बाबा की मना नहीं है। बाप तो सिर्फ डायरेक्शन देते हैं - बच्चे, देह सहित देह के सब सम्बन्धों से ममत्व निकाल मुझे याद करो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कभी भी याहुसैन नहीं मचाना है। बुद्धि में रहे हम विश्व का मालिक बनने वाले हैं, हमारी चलन, वार्तालाप बहुत अच्छा होना चाहिए। कभी भी रोना नहीं है।

2) निश्चयबुद्धि बन एक बाप की मत पर चलते रहना है, कभी मूँझना वा घुटका नहीं खाना है। निश्चय में ही विजय है, इसलिए अपनी पाई-पैसे की मत नहीं चलानी है।

वरदान:-
किसी भी परिस्थिति में फुलस्टॉप लगाकर स्वयं को परिवर्तन करने वाले सर्व की दुआओं के पात्र भव

किसी भी परिस्थिति में फुलस्टाप तब लगा सकते हैं जब बिन्दु स्वरूप बाप और बिन्दू स्वरूप आत्मा दोनों की स्मृति हो। कन्ट्रोलिंग पावर हो। जो बच्चे किसी भी परिस्थिति में स्वयं को परिवर्तन कर फुलस्टॉप लगाने में स्वयं को पहले आफर करते हैं, वह दुआओं के पात्र बन जाते हैं। उन्हें स्वयं को स्वयं भी दुआयें अर्थात् खुशी मिलती है, बाप द्वारा और ब्राह्मण परिवार द्वारा भी दुआयें मिलती हैं।

स्लोगन:-
जो संकल्प करते हो उसे बीच-बीच में दृढ़ता का ठप्पा लगाओ तो विजयी बन जायेंगे।