23-07-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हें टाइम पर अपने घर वापस जाना है इसलिए याद की रफ्तार को बढ़ाओ, इस दु:खधाम को भूल शान्तिधाम और सुखधाम को याद करो''

प्रश्नः-
कौन-सा एक गुह्य राज़ तुम मनुष्यों को सुनाओ तो उनकी बुद्धि में हलचल मच जायेगी?

उत्तर:-
उन्हें गुह्य राज़ सुनाओ कि आत्मा इतनी छोटी बिन्दी है, उसमें फार एवर पार्ट भरा हुआ है, जो पार्ट बजाती ही रहती है। कभी थकती नहीं। मोक्ष किसी को मिल नहीं सकता। मनुष्य बहुत दु:ख देखकर कहते हैं मोक्ष मिले तो अच्छा है, लेकिन अविनाशी आत्मा पार्ट बजाने के बिना रह नहीं सकती। इस बात को सुनकर उनके अन्दर हलचल मच जायेगी।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे पढ़ाने वाला टीचर विदेही है, उसे देह का भान नहीं, ऐसे विदेही बनना है। शरीर का भान छोड़ते जाना है। क्रिमिनल आई को बदल सिविल आई बनानी है।

2) अपनी बुद्धि को विशाल बनाना है। सजाओं से छूटने के लिए बाप का वा पढ़ाई का रिगॉर्ड रखना है। कभी भी दु:ख नहीं देना है। अशान्ति नहीं फैलानी है।

वरदान:-
ब्राह्मण जीवन की नेचरल नेचर द्वारा पत्थर को भी पानी बनाने वाले मास्टर प्रेम के सागर भव

जैसे दुनिया वाले कहते हैं कि प्यार पत्थर को भी पानी कर देता है, ऐसे आप ब्राह्मणों की नेचुरल नेचर मास्टर प्रेम का सागर है। आपके पास आत्मिक प्यार, परमात्म प्यार की ऐसी शक्ति है, जिससे भिन्न-भिन्न नेचर को परिवर्तन कर सकते हो। जैसे प्यार के सागर ने अपने प्यार स्वरूप की अनादि नेचर से आप बच्चों को अपना बना लिया। ऐसे आप भी मास्टर प्यार के सागर बन विश्व की आत्माओ को सच्चा, नि:स्वार्थ आत्मिक प्यार दो तो उनकी नेचर परिवर्तन हो जायेगी।

स्लोगन:-
अपनी विशेषताओं को स्मृति में रख उन्हें सेवा में लगाओ तो उड़ती कला में उड़ते रहेंगे।