24-12-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अपार खुशी व नशे में रहने के लिए देह-अभिमान की बीमारी छोड़ प्रीत बुद्धि बनो, अपनी चलन सुधारो''

प्रश्नः-
किन बच्चों को ज्ञान का उल्टा नशा नहीं चढ़ सकता है?

उत्तर:-
जो बाप को यथार्थ जानकर याद करते हैं, दिल से बाप की महिमा करते हैं, जिनका पढ़ाई पर पूरा ध्यान है उन्हें ज्ञान का उल्टा नशा नहीं चढ़ सकता। जो बाप को साधारण समझते हैं वे बाप को याद कर नहीं सकते। याद करें तो अपना समाचार भी बाप को अवश्य दें। बच्चे अपना समाचार नहीं देते तो बाप को ख्याल चलता कि बच्चा कहाँ मूर्छित तो नहीं हो गया?

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने आपको सदा सेफ रखने के लिए बुद्धि को विचार सागर मंथन में बिज़ी रखना है। स्वदर्शन चक्रधारी बनकर रहना है। झरमुई झगमुई में अपना समय नहीं गँवाना है।

2) शरीर से डिटैच रहने की पढ़ाई जो बाप पढ़ाते हैं, वह पढ़नी है। माया के फोर्स से बचने के लिए अपनी अवस्था अचल-अडोल बनानी है।

वरदान:-
ब्रह्मा बाप समान लक्ष्य को लक्षण में लाने वाले प्रत्यक्ष सेम्पल बन सर्व के सहयोगी भव

जैसे ब्रह्मा बाप ने स्वयं को निमित्त एक्जैम्पुल बनाया, सदा यह लक्ष्य लक्षण में लाया - जो ओटे सो अर्जुन, इसी से नम्बरवन बनें। तो ऐसे फालो फादर करो। कर्म द्वारा सदा स्वयं जीवन में गुण मूर्त बन, प्रत्यक्ष सैम्पुल बन औरों को सहज गुण धारण करने का सहयोग दो - इसको कहते हैं गुणदान। दान का अर्थ ही है सहयोग देना। कोई भी आत्मा अब सुनने के बजाए प्रत्यक्ष प्रमाण देखना चाहती है। तो पहले स्वयं को गुणमूर्त बनाओ।

स्लोगन:-
सर्व की निराशाओं का अंधकार दूर करने वाले ही ज्ञान दीपक हैं।