25-03-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम बाप के बच्चे मालिक हो, तुमने कोई बाप के पास शरण नहीं ली है, बच्चा कभी बाप की शरण में नहीं जाता''

प्रश्नः-
किस बात का सदा सिमरण होता रहे तो माया तंग नहीं करेगी?

उत्तर:-
हम बाप के पास आये हैं, वह हमारा बाबा भी है, शिक्षक भी है, सतगुरू भी है परन्तु है निराकार। हम निराकारी आत्माओं को पढ़ाने वाला निराकार बाबा है, यह बुद्धि में सिमरण रहे तो खुशी का पारा चढ़ा रहेगा फिर माया तंग नहीं करेगी।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाइसकोप (सिनेमा) हेल में जाने का रास्ता है, इसलिए बाइसकोप नहीं देखना है। याद की यात्रा से पावन बन ऊंच पद लेना है, इस पुरानी दुनिया से दिल नहीं लगानी है।

2) मन्सा-वाचा-कर्मणा कोई को भी दु:ख नहीं देना है। सबके कानों में मीठी-मीठी बातें सुनानी हैं, सबको बाप की याद दिलानी है। बुद्धियोग एक बाप से जुड़ाना है।

वरदान:-
स्मृति का स्विच ऑन कर सेकण्ड में अशरीरी स्थिति का अनुभव करने वाले प्रीत बुद्धि भव

जहाँ प्रभू प्रीत है वहाँ अशरीरी बनना एक सेकण्ड के खेल के समान है। जैसे स्विच ऑन करते ही अंधकार समाप्त हो जाता है। ऐसे प्रीत बुद्धि बन स्मृति का स्विच ऑन करो तो देह और देह की दुनिया की स्मृति का स्विच ऑफ हो जायेगा। यह सेकण्ड का खेल है। मुख से बाबा कहने में भी टाइम लगता है लेकिन स्मृति में लाने में टाइम नहीं लगता। यह बाबा शब्द ही पुरानी दुनिया को भूलने का आत्मिक बाम्ब है।

स्लोगन:-
देह भान की मिट्टी के बोझ से परे रहो तो डबल लाइट फरिश्ता बन जायेंगे।

अव्यक्त इशारे - सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ

सत्यता की परख है संकल्प, बोल, कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क सबमें दिव्यता की अनुभूति होना। कोई कहते हैं मैं तो सदा सच बोलता हूँ लेकिन बोल वा कर्म में अगर दिव्यता नहीं है तो दूसरे को आपका सच, सच नहीं लगेगा इसलिए सत्यता की शक्ति से दिव्यता को धारण करो। कुछ भी सहन करना पड़े, घबराओ नहीं। सत्य समय प्रमाण स्वयं सिद्ध होगा।