25-06-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - पक्का-पक्का निश्चय करो कि हम आत्मा हैं, आत्मा समझकर हर काम शुरू करो तो बाप याद आयेगा, पाप नहीं होगा''

प्रश्नः-
कर्मातीत स्थिति को प्राप्त करने के लिए कौन-सी मेहनत हर एक को करनी है? कर्मातीत स्थिति के समीपता की निशानी क्या है?

उत्तर:-
कर्मातीत बनने के लिए याद के बल से अपनी कर्मेन्द्रियों को वश में करने की मेहनत करो। अभ्यास करो मैं निराकार आत्मा निराकार बाप की सन्तान हूँ। सब कर्मेन्द्रियां निर्विकारी बन जायें - यह है जबरदस्त मेहनत। जितना कर्मातीत अवस्था के समीप आते जायेंगे उतना अंग-अंग शीतल, सुगन्धित होते जायेंगे। उनसे विकारी बांस निकल जायेगी। अतीन्द्रिय सुख का अनुभव होता रहेगा।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप जो सच्ची-सच्ची कहानी सुनाते हैं, वह अटेन्शन से सुननी और धारण करनी है, बाप से कुछ भी मांगना नहीं है। 21 जन्मों के लिए अपनी कमाई जमा करनी है।

2) वापस घर चलना है, इसलिए योगबल से शरीर की कशिश समाप्त करनी है। कर्मेन्द्रियों को शीतल बनाना है। इस देह का भान छोड़ने का पुरूषार्थ करना है।

वरदान:-
एक स्थान पर रहते अनेक आत्माओं की सेवा करने वाले लाइट-माइट सम्पन्न भव

जैसे लाइट हाउस एक स्थान पर स्थित होते दूर-दूर की सेवा करता है। ऐसे आप सभी एक स्थान पर होते अनेकों की सेवा अर्थ निमित्त बन सकते हो इसमें सिर्फ लाइट-माइट से सम्पन्न बनने की आवश्यकता है। मन-बुद्धि सदा व्यर्थ सोचने से मुक्त हो, मन्मनाभव के मंत्र का सहज स्वरूप हो - मन्सा शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना, श्रेष्ठ वृत्ति और श्रेष्ठ वायब्रेशन से सम्पन्न हो तो यह सेवा सहज कर सकते हो। यही मन्सा सेवा है।

स्लोगन:-
अब आप ब्राह्मण आत्मायें माइट बनो और दूसरी आत्माओं को माइक बनाओ।