25-07-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाजोली का खेल याद करो, इस खेल में सारे चक्र का, ब्रह्मा और ब्राह्मणों का राज़ समाया हुआ है''

प्रश्नः-
संगमयुग पर बाप से कौन-सा वर्सा सभी बच्चों को प्राप्त होता है?

उत्तर:-
ईश्वरीय बुद्धि का। ईश्वर में जो गुण हैं वह हमें वर्से में देते हैं। हमारी बुद्धि हीरे जैसी पारस बन रही है। अभी हम ब्राह्मण बन बाप से बहुत भारी खजाना ले रहे हैं, सर्व गुणों से अपनी झोली भर रहे हैं।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) वृक्षपति बाप से सुख-शान्ति-पवित्रता का वर्सा लेने के लिए अपने आपको अकालमूर्त्त आत्मा समझ बाप को याद करना है। ईश्वरीय बुद्धि बनानी है।

2) बाप से सच्ची कथा सुनकर दूसरों को सुनानी है। मायाजीत बनने के लिए आपसमान बनाने की सेवा करनी है, बुद्धि में रहे हम कल्प-कल्प के विजयी हैं, बाप हमारे साथ है।

वरदान:-
निर्बल से बलवान बन असम्भव को सम्भव करने वाली हिम्मतवान आत्मा भव

“हिम्मते बच्चे मददे बाप'' इस वरदान के आधार पर हिम्मत का पहला दृढ़ संकल्प किया कि हमें पवित्र बनना ही है और बाप ने पदमगुणा मदद दी कि आप आत्मायें अनादि-आदि पवित्र हो, अनेक बार पवित्र बनी हो और बनती रहेंगी। अनेक बार की स्मृति से समर्थ बन गये। निर्बल से इतने बलवान बन गये जो चैलेन्ज करते हो कि विश्व को भी पावन बनाकर ही दिखायेंगे, जिसको ऋषि मुनि महान आत्मायें समझती हैं कि प्रवृत्ति में रहते पवित्र रहना मुश्किल है, उसको आप अति सहज कहते हो।

स्लोगन:-
दृढ़ संकल्प करना ही व्रत लेना है, सच्चे भक्त कभी व्रत को तोड़ते नहीं है।