26-03-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुमने बाप का हाथ पकड़ा है, तुम गृहस्थ व्यवहार में रहते भी बाप को याद करते-करते तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे''

प्रश्नः-
तुम बच्चों के अन्दर में कौन सा उल्लास रहना चाहिए? तख्तनशीन बनने की विधि क्या है?

उत्तर:-
सदा उल्लास रहे कि ज्ञान सागर बाप हमें रोज़ ज्ञान रत्नों की थालियां भर-भर कर देते हैं। जितना योग में रहेंगे उतना बुद्धि कंचन होती जायेगी। यह अविनाशी ज्ञान रत्न ही साथ में जाते हैं। तख्तनशीन बनना है तो मात-पिता को पूरा-पूरा फालो करो। उनकी श्रीमत अनुसार चलो, औरों को भी आप समान बनाओ।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जो देह रहित विचित्र है, उस बाप से मुहब्बत रखनी है। किसी देहधारी के नाम-रूप में बुद्धि नहीं फँसानी है। माया का थप्पड़ न लगे, यह सम्भाल करनी है।

2) जो ज्ञान की बातों के सिवाए दूसरा कुछ भी सुनाए उसका संग नहीं करना है। फुल पास होने का पुरूषार्थ करना है। कांटों को फूल बनाने की सेवा करनी है।

वरदान:-
“एक बाप दूसरा न कोई'' इस स्मृति से बंधनमुक्त, योगयुक्त भव

अब घर जाने का समय है इसलिए बंधनमुक्त और योगयुक्त बनो। बंधनमुक्त अर्थात् लूज़ ड्रेस, टाइट नहीं। आर्डर मिला और सेकण्ड में गया। ऐसे बंधनमुक्त, योगयुक्त स्थिति का वरदान प्राप्त करने के लिए सदा यह वायदा स्मृति में रहे कि “एक बाप दूसरा न कोई।'' क्योंकि घर जाने के लिए वा सतयुगी राज्य में आने के लिए इस पुराने शरीर को छोड़ना पड़ेगा। तो चेक करो ऐसे एवररेडी बने हैं या अभी तक कुछ रस्सियां बंधी हुई है? यह पुराना चोला टाइट तो नहीं है?

स्लोगन:-
व्यर्थ संकल्प रूपी एकस्ट्रा भोजन नहीं करो तो मोटेपन की बीमारियों से बच जायेंगे।

अव्यक्त इशारे - सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ

बाप को सबसे बढ़िया चीज़ लगती है - सच्चाई, इसलिए भक्ति में भी कहते हैं गाड इज ट्रूथ। सबसे प्यारी चीज़ सच्चाई है क्योंकि जिसमें सच्चाई होती है उसमें सफाई रहती है, वह क्लीन और क्लीयर रहता है। तो सच्चाई की विशेषता कभी नहीं छोड़ना। सत्यता की शक्ति एक लिफ्ट का काम करती है।