26-12-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम अभी पढ़ाई पढ़ रहे हो, यह पढ़ाई है पतित से पावन बनने की, तुम्हें यह पढ़ना और पढ़ाना है''

प्रश्नः-
दुनिया में कौन-सा ज्ञान होते हुए भी अज्ञान अन्धियारा है?

उत्तर:-
माया का ज्ञान, जिससे विनाश होता है। मून तक जाते हैं, यह ज्ञान बहुत है लेकिन नई दुनिया और पुरानी दुनिया का ज्ञान किसी के पास नहीं है। सब अज्ञान अन्धियारे में हैं, सभी ज्ञान नेत्र से अंधे हैं। तुम्हें अभी ज्ञान का तीसरा नेत्र मिलता है। तुम नॉलेजफुल बच्चे जानते हो उन्हों की ब्रेन में विनाश के ख्यालात हैं, तुम्हारी बुद्धि में स्थापना के ख्यालात हैं।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप इस दादा में प्रवेश हो हमें मनुष्य से देवता अर्थात् विकारी से निर्विकारी बनाने के लिए गीता का ज्ञान सुना रहे हैं, इसी निश्चय से रमण करना है। श्रीमत पर चलकर श्रेष्ठ गुणवान बनना है।

2) याद की यात्रा से बुद्धि को सोने का बर्तन बनाना है। ज्ञान बुद्धि में सदा बना रहे उसके लिए मुरली जरूर पढ़नी वा सुननी है।

वरदान:-
अपने पोजीशन की स्मृति द्वारा माया पर विजय प्राप्त करने वाले निरन्तर योगी भव

जैसे स्थूल पोजीशन वाले अपनी पोजीशन को कभी भूलते नहीं। ऐसे आपका पोजीशन है - मास्टर सर्वशक्तिमान, इसे सदा स्मृति में रखो और रोज़ अमृतवेले इस स्मृति को इमर्ज करो तो निरन्तर योगी बन जायेंगे और सारा दिन उसका सहयोग मिलता रहेगा। फिर मास्टर सर्वशक्तिमान के आगे माया आ नहीं सकती, जब आप अपनी स्मृति की ऊंची स्टेज पर रहेंगे तो माया चींटी को जीतना सहज हो जायेगा।

स्लोगन:-
आत्मा रूपी पुरुष को श्रेष्ठ बनाने वाले ही सच्चे पुरुषार्थी हैं।