27-01-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हारी जब कर्मातीत अवस्था होगी तब विष्णुपुरी में जायेंगे, पास विद् ऑनर होने वाले बच्चे ही कर्मातीत बनते हैं''

प्रश्नः-
तुम बच्चों पर दोनों बाप कौन-सी मेहनत करते हैं?

उत्तर:-
बच्चे स्वर्ग के लायक बनें। सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण बनाने की मेहनत बापदादा दोनों करते हैं। यह जैसे तुम्हें डबल इंजन मिली है। ऐसी वन्डरफुल पढ़ाई पढ़ाते हैं जिससे तुम 21 जन्म की बादशाही पा लेते हो।

गीत:-
बचपन के दिन भुला न देना.........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्तिम खूने नाहेक सीन देखने के लिए बहुत-बहुत निर्भय, शिव शक्ति बनना है। सर्वशक्तिमान् बाप की याद से शक्ति लेनी है।

2) पावन बनकर, पावन बनाने की रूहानी सच्ची सेवा करनी है। डबल अहिंसक बनना है। अंधों की लाठी बन सबको घर का रास्ता बताना है।

वरदान:-
मैं और मेरे पन को समाप्त कर समानता व सम्पूर्णता का अनुभव करने वाले सच्चे त्यागी भव

हर सेकेण्ड, हर संकल्प में बाबा-बाबा याद रहे, मैं पन समाप्त हो जाए, जब मैं नहीं तो मेरा भी नहीं। मेरा स्वभाव, मेरे संस्कार, मेरी नेचर, मेरा काम या ड्यूटी, मेरा नाम, मेरी शान....जब यह मैं और मेरा पन समाप्त हो जाता तो यही समानता और सम्पूर्णता है। यह मैं और मेरे पन का त्याग ही बड़े से बड़ा सूक्ष्म त्याग है। इस मैं पन के अश्व को अश्वमेध यज्ञ में स्वाहा करो तब अन्तिम आहुति पड़ेगी और विजय के नगाड़े बजेंगे।

स्लोगन:-
हाँ जी कर सहयोग का हाथ बढ़ाना अर्थात् दुआओं की मालायें पहनना।

अपनी शक्तिशाली मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो

मन्सा द्वारा सकाश तब दे सकेंगे जब निरन्तर एकरस स्थिति में स्थित होने का अभ्यास होगा। इसके लिए पहले व्यर्थ संकल्पों को शुद्ध संकल्पों में परिवर्तन करो। फिर माया द्वारा आने वाले अनेक प्रकार के विघ्नों को ईश्वरीय लगन के आधार से समाप्त करो। एक बाप दूसरा न कोई इस पाठ द्वारा एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाओ।