27-03-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - खिवैया आया है तुम्हारी नईया पार लगाने, तुम बाप से सच्चे होकर रहो तो नईया हिलेगी-डुलेगी लेकिन डूब नहीं सकती''

प्रश्नः-
बाप की याद बच्चों को यथार्थ न रहने का मुख्य कारण क्या है?

उत्तर:-
साकार में आते-आते भूल गये हैं कि हम आत्मा निराकार हैं और हमारा बाप भी निराकार है, साकार होने के कारण साकार की याद सहज आ जाती है। देही-अभिमानी बन अपने को बिन्दी समझ बाप को याद करना - इसी में ही मेहनत है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ऐसा कोई कर्म नहीं करना है जो बाप द्वारा भक्त का टाइटिल मिले। पैगम्बर बन सबको बाप और वर्से को याद करने का पैगाम देना है।

2) इस पुरानी दुनिया में कोई चैन नहीं है, यह छी-छी दुनिया है इसे भूलते जाना है। घर की याद के साथ-साथ पावन बनने के लिए बाप को भी जरूर याद करना है।

वरदान:-
प्रवृत्ति में रहते पर-वृत्ति में रहने वाले निरन्तर योगी भव

निरन्तर योगी बनने का सहज साधन है - प्रवृत्ति में रहते पर-वृत्ति में रहना। पर-वृत्ति अर्थात् आत्मिक रूप। जो आत्मिक रूप में स्थित रहता है वह सदा न्यारा और बाप का प्यारा बन जाता है। कुछ भी करेगा लेकिन यह महसूस होगा जैसे काम नहीं किया है लेकिन खेल किया है। तो प्रवृत्ति में रहते आत्मिक रूप में रहने से सब खेल की तरह सहज अनुभव होगा। बंधन नहीं लगेगा। सिर्फ स्नेह और सहयोग के साथ शक्ति की एडीशन करो तो हाईजम्प लगा लेंगे।

स्लोगन:-
बुद्धि की महीनता अथवा आत्मा का हल्कापन ही ब्राह्मण जीवन की पर्सनैलिटी है।

अव्यक्त इशारे - सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ

हिम्मते शक्तियां मदद दे सर्वशक्तिमान। शेरनियां कभी किससे डरती नहीं, निर्भय होती हैं। यह भी भय नहीं कि ना-मालूम क्या होगा! सत्यता के शक्ति स्वरूप होकर नशे से बोलो, नशे से देखो। हम आलमाइटी गवर्मेन्ट के अनुचर हैं, इसी स्मृति से अयथार्थ को यथार्थ में लाना है। सत्य को प्रसिद्ध करना है न कि छिपाना है लेकिन सत्यता के साथ बोल में मधुरता और सभ्यता आवश्यक है।