27-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हारा मुख अभी स्वर्ग की तरफ है, तुम नर्क से किनारा कर स्वर्ग की तरफ जा रहे हो, इसलिए बुद्धि का योग नर्क से निकाल दो''

प्रश्नः-
सबसे ऊंची और सूक्ष्म मंजिल कौन-सी है, उसे पार कौन कर सकते हैं?

उत्तर:-
तुम बच्चे स्वर्ग की तरफ मुँह करते, माया तुम्हारा मुँह नर्क की तरफ फेर देती है, अनेक तूफान लाती है, उन्हीं तूफानों को पार करना - यही है सूक्ष्म मंजिल। इस मंजिल को पार करने के लिए नष्टोमोहा बनना पड़े। निश्चय और हिम्मत के आधार पर इसे पार कर सकते हो। विकारियों के बीच में रहते निर्विकारी हंस बनना - यही है मेहनत।

गीत:-
निर्बल से लड़ाई बलवान की.....

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस पुरानी दुनिया का अन्त है, बाप डायरेक्ट आया है तो एकदम सरेन्डर हो जाना है, बाबा यह सब आपका है... इस युक्ति से पुण्यात्मा बन जायेंगे।

2) मुरली कभी भी मिस नहीं करना है, मुरली में लापरवाह नहीं रहना है। ऐसे नहीं, हमने नहीं पढ़ी तो क्या हुआ। हम तो पार हो गये हैं। नहीं। यह देह-अभिमान है। मुरली जरूर पढ़नी है।

वरदान:-
स्वयं को मोल्ड कर रीयल गोल्ड बन हर कार्य में सफल होने वाले स्व परिवर्तक भव

जो हर परिस्थिति में स्वयं को परिवर्तन कर स्व परिवर्तक बनते हैं वह सदा सफल होते हैं। इसलिए स्वयं को बदलने का लक्ष्य रखो। दूसरा बदले तो मैं बदलूँ - नहीं। दूसरा बदले या न बदले मुझे बदलना है। हे अर्जुन मुझे बनना है। सदा परिवर्तन करने में पहले मैं। जो इसमें पहले मैं करता वही पहला नम्बर हो जाता, क्योंकि स्वयं को मोल्ड करने वाला ही रीयल गोल्ड है। रीयल गोल्ड की ही वैल्यु है।

स्लोगन:-
अपने श्रेष्ठ जीवन के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करो।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

बाप-समान बनना है वा बाप के समीप जाना है तो अपवित्रता अर्थात् काम महाशत्रु स्वप्न में भी वार न करे। सदा भाई-भाई की स्मृति सहज और स्वत: स्वरूप में हो। आत्मा के असली गुण-स्वरूप और शक्ति-स्वरूप स्थिति से नीचे नहीं आओ।