27-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हारा
टाइम बहुत वैल्युबुल है, इसलिए फालतू बातों में अपना टाइम वेस्ट मत करो''
प्रश्नः-
मनुष्य से
देवता बनने के लिए बाप की कौन-सी श्रीमत मिली हुई है?
उत्तर:-
बच्चे, तुम
जबकि मनुष्य से देवता बनते हो तो कोई आसुरी स्वभाव नहीं होना चाहिए, 2. कोई पर
क्रोध नहीं करना है, 3. किसको भी दु:ख नहीं देना है, 4. कोई भी फालतू बातें कान से
नहीं सुननी हैं। बाप की श्रीमत है हियर नो ईविल. . . .।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान की बातों के सिवाए और कोई बात मुख से नहीं निकालनी है।
झरमुई-झगमुई की बातें कभी नहीं सुननी है। मुख से सदैव रत्न निकलते रहें, पत्थर नहीं।
2) सर्विस के साथ-साथ याद की यात्रा में रह स्वयं को निरोगी बनाना है। अविनाशी
सर्जन स्वयं भगवान हमें मिला है 21 जन्म के लिए निरोगी बनाने... इसी नशे में वा खुशी
में रहना है।
वरदान:-
हर कर्म में
फालो फादर कर स्नेह का रेसपान्ड देने वाले तीव्र-पुरुषार्थी भव
जिससे स्नेह होता है उसको
आटोमेटिकली फालो करना होता है। सदा याद रहे कि यह कर्म जो कर रहे हैं यह फालो फादर
है? अगर नहीं है तो स्टॉप कर दो। बाप को कॉपी करते बाप समान बनो। कॉपी करने के लिए
जैसे कार्बन पेपर डालते हैं वैसे अटेन्शन का पेपर डालो तो कॉपी हो जायेगा क्योंकि
अभी ही तीव्र पुरुषार्थी बन स्वयं को हर शक्ति से सम्पन्न बनाने का समय है। अगर
स्वयं, स्वयं को सम्पन्न नहीं कर सकते हो तो सहयोग लो। नहीं तो आगे चल टू लेट हो
जायेंगे।
स्लोगन:-
सन्तुष्टता का फल प्रसन्नता है, प्रसन्नचित बनने से प्रश्न समाप्त हो जाते हैं।
अव्यक्त
इशारे-आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो
किसी कमजोर आत्मा
की कमजोरी को न देखो। यह स्मृति में रहे कि वैराइटी आत्मायें हैं। सबके प्रति
आत्मिक दृष्टि रहे। आत्मा के रूप में उनको स्मृति में लाने से पावर दे सकेंगे। आत्मा
बोल रही है, आत्मा के यह संस्कार हैं, यह पाठ पक्का करो तो सबके प्रति स्वत: शुभ
भावना रहेगी।