27-07-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बाप समान
रहमदिल और कल्याणकारी बनो, समझदार वह जो खुद भी पुरूषार्थ करे और दूसरों को भी कराये''
प्रश्नः-
तुम बच्चे अपनी
पढ़ाई से कौन-सी चेकिंग कर सकते हो, तुम्हारा पुरूषार्थ क्या है?
उत्तर:-
पढ़ाई से तुम
चेकिंग कर सकते हो कि हम उत्तम पार्ट बजा रहे हैं या मध्यम या कनिष्ट। सबसे उत्तम
पार्ट उनका कहेंगे जो दूसरों को भी उत्तम बनाते हैं अर्थात् सर्विस कर ब्राह्मणों
की वृद्धि करते हैं। तुम्हारा पुरूषार्थ है पुरानी जुत्ती उतार नई जुत्ती लेने का।
जब आत्मा पवित्र बनें तब उसे नई पवित्र जुत्ती (शरीर) मिले।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान और योग से अपनी बुद्धि को रिफाइन बनाना है। बाप को भूलने की
भूल कभी नहीं करनी है। आशिक बन माशूक को याद करना है।
2) बन्धनमुक्त बन आप समान बनाने की सेवा करनी है। ऊंच पद पाने का पुरूषार्थ करना
है। पुरूषार्थ में कभी दिलशिकस्त नहीं बनना है।
वरदान:-
एक मिनट की
एकाग्र स्थिति द्वारा शक्तिशाली अनुभव करने कराने वाले एकान्तवासी भव
एकान्तवासी बनना अर्थात्
कोई भी एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित होना। चाहे बीजरूप स्थिति में स्थित हो जाओ,
चाहे लाइट माइट हाउस की स्थिति में स्थित हो विश्व को लाइट माइट दो, चाहे फरिश्ते
पन की स्थिति द्वारा औरों को अव्यक्त स्थिति का अनुभव कराओ। एक सेकण्ड वा एक मिनट
भी अगर इस स्थिति में एकाग्र हो स्थित हो जाओ तो स्वयं को और अन्य आत्माओं को बहुत
लाभ दे सकते हो। सिर्फ इसकी प्रैक्टिस चाहिए।
स्लोगन:-
ब्रह्माचारी वह है जिसके हर संकल्प, हर बोल में पवित्रता का वायब्रेशन समाया हुआ
है।