27-09-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम अभी
सच्ची-सच्ची पाठशाला में बैठे हो, यह सतसंग भी है, यहाँ तुम्हें सत बाप का संग मिला
है, जो पार लगा देता है''
प्रश्नः-
हिसाब-किताब
के खेल में मनुष्यों की समझ और तुम्हारी समझ में कौन सा अन्तर है?
उत्तर:-
मनुष्य समझते
हैं - यह जो दु:ख-सुख का खेल चलता है, यह दु:ख-सुख सब परमात्मा ही देते हैं और तुम
बच्चे समझते हो कि यह हर एक के कर्मों के हिसाब का खेल है। बाप किसी को भी दु:ख नहीं
देते। वह तो आते ही हैं सुख का रास्ता बताने। बाबा कहते हैं - बच्चे, मैंने किसी को
भी दु:खी नहीं किया है। यह तो तुम्हारे ही कर्मों का फल है।
गीत:-
इस पाप की
दुनिया से........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सहनशीलता का गुण धारण कर माया के विघ्नों में पास होना है। अनेक
आपदायें आयेंगी, अत्याचार होंगे - ऐसे समय पर सहन करते बाप की याद में रहना है,
सच्ची कमाई करनी है।
2) विशाल बुद्धि बन इस बने बनाये ड्रामा को अच्छी रीति समझना है, यह कुदरती
ड्रामा बना हुआ है इसलिए प्रश्न उठ नहीं सकता। बाप जो अच्छी मत देते हैं, उस पर चलते
रहना है।
वरदान:-
मायाजीत, विजयी
बनने के साथ-साथ पर उपकारी भव
अभी तक स्व कल्याण में
बहुत समय जा रहा है। अब पर उपकारी बनो। मायाजीत विजयी बनने के साथ साथ सर्व खजानों
के विधाता बनो अर्थात् हर खजाने को कार्य में लगाओ। खुशी का खजाना, शान्ति का खजाना,
शक्तियों का खजाना, ज्ञान का खजाना, गुणों का खजाना, सहयोग देने का खजाना बांटो और
बढ़ाओ। जब अभी विधाता पन की स्थिति का अनुभव करेंगे अर्थात् पर उपकारी बनेंगे तब
अनेक जन्म विश्व राज्य अधिकारी बनेंगे।
स्लोगन:-
विश्व
कल्याणकारी बनना है तो अपनी सर्व कमजोरियों को सदाकाल के लिए विदाई दो।
अव्यक्त इशारे -
अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ
जैसे किला बांधा
जाता है, जिससे प्रजा किले के अन्दर सेफ रहे। एक राजा के लिए कोठरी नहीं बनाते, किला
बनाते हैं। आप सभी भी स्वयं के लिए, साथियों के लिए, अन्य आत्माओं के लिए ज्वाला
रूप याद का किला बांधो। याद के शक्ति की ज्वाला हो तो हर आत्मा सेफ्टी का अनुभव
करेगी।