27-10-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


मीठेबच्चे - “नाज़ुकपना भी देह-अभिमान है, रूसना, रोना यह सब आसुरी संस्कार तुम बच्चों में नहीं होने चाहिए, दु:ख-सुख, मान-अपमान सब सहन करना है''

प्रश्नः-
सर्विस में ढीलापन आने का मुख्य कारण क्या है?

उत्तर:-
जब देह-अभिमान के कारण एक दो की खामियां देखने लगते हैं तब सर्विस में ढीलापन आता है। आपस में अनबनी होना भी देह-अभिमान है। मैं फलाने के साथ नहीं चल सकता, मैं यहाँ नहीं रह सकता... यह सब नाज़ुकपना है। यह बोल मुख से निकालना माना कांटे बनना, नाफरमानबरदार बनना। बाबा कहते बच्चे, तुम रूहानी मिलेट्री हो इसलिए ऑर्डर हुआ तो फौरन हाज़िर होना चाहिए। कोई भी बात में आनाकानी मत करो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बहुत मीठे, शान्त, अति मीठेस्वभाव का बनना है। कभी भी क्रोध नहीं करना है। अपनी आंखों को बहुत-बहुत सिविल बनाना है।

2) बाबा जो हुक्म करे, उसे फौरन मानना है। सारे विश्व को पतित से पावन बनाने की सेवा करनी है अर्थात् घेराव डालना है।

वरदान:-
बाप की याद द्वारा असन्तोष की परिस्थितियों में, सदा सुख व सन्तोष की अनुभूति करने वाले महावीर भव

सदा बाप की याद में रहने वाले हर परिस्थिति में सदा सन्तुष्ट रहते हैं क्योंकि नॉलेज की शक्ति के आधार पर पहाड़ माफिक परिस्थिति भी राई अनुभव होती है, राई अर्थात् कुछ नहीं। चाहे परिस्थिति असन्तोष की हो, दु:ख की घटना हो लेकिन दु:ख की परिस्थिति में सुख की स्थिति रहे तब कहेंगे महावीर। कुछ भी हो जाए, नथिंगन्यु के साथ-साथ बाप की स्मृति से सदा एकरस स्थिति रह सकती है, फिर दु:ख अशान्ति की लहर भी नहीं आयेगी।

स्लोगन:-
अपना दैवी स्वरूप सदा स्मृति में रहे तो कोई की भी व्यर्थ नज़र नहीं जा सकती।


अव्यक्त इशारे - स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो

जैसे साइन्स की शक्ति का प्रयोग लाइट के आधार पर होता है। अगर कम्प्युटर भी चलता है तो कम्प्युटर माइट है लेकिन आधार लाइट है। ऐसे आपके साइलेन्स की शक्ति का भी आधार लाइट है। जब वह प्रकृति की लाइट अनेक प्रकार के प्रयोग प्रैक्टिकल में करके दिखाती है तो आपकी अविनाशी परमात्म लाइट, आत्मिक लाइट और साथ-साथ प्रैक्टिकल स्थिति लाइट, तो इससे क्या नहीं प्रयोग हो सकता!