27-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - माया बड़ी
जबरदस्त है, इससे खबरदार रहना, कभी यह ख्याल न आये कि हम ब्रह्मा को नहीं मानते,
हमारा तो डायरेक्ट शिवबाबा से कनेक्शन है''
प्रश्नः-
किन बच्चों पर
सभी का प्यार स्वत: जाता है?
उत्तर:-
जो पहले हर
बात को स्वयं प्रैक्टिकल में लाते फिर दूसरों को कहते हैं - उन पर सबका प्यार स्वत:
जाता है। ज्ञान को स्वयं में धारण कर फिर बहुतों की सेवा करनी है, तब सबका प्यार
मिलेगा। अगर खुद नहीं करते सिर्फ दूसरों को कहते तो उन्हें कौन मानेगा? वह तो जैसे
पण्डित हो जाते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बहुत रॉयल्टी से मीठा होकर चलना है। शान्ति और सुख का टॉवर बनने के
लिए बहुत कम और मीठा बोलना है। मूवी की प्रैक्टिस करनी है। टॉकी में नहीं आना है।
2) स्वयं की दैवी चलन बनानी है। छुईमुई नहीं बनना है। लड़ाई के पहले कर्मातीत
अवस्था तक पहुँचना है। निर्विकारी बन निर्विकारी बनाने की सेवा करनी है।
वरदान:-
पवित्र प्यार
की पालना द्वारा सर्व को स्नेह के सूत्र में बांधने वाले मास्टर स्नेह के सागर भव
जब स्नेह के सागर और स्नेह
सम्पन्न नदियों का मेल होता है तो नदी भी बाप समान मास्टर स्नेह का सागर बन जाती
है। इसलिए विश्व की आत्मायें स्नेह के अनुभव से स्वत: समीप आती हैं। पवित्र प्यार
वा ईश्वरीय परिवार की पालना, चुम्बक के समान स्वत: ही हर एक को समीप ले आता है। यह
ईश्वरीय स्नेह सबको सहयोगी बनाए आगे बढ़ने के सूत्र में बांध देता है।
स्लोगन:-
संकल्प,
बोल, समय, गुण और शक्तियों के खजाने जमा करो तो इनका सहयोग मिलता रहेगा।