28-06-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - अन्तर्मुखी
बनो अर्थात् चुप रहो, मुख से कुछ भी बोलो नहीं, हर कार्य शान्ति से करो, कभी भी
अशान्ति नहीं फैलाओ''
प्रश्नः-
तुम बच्चों को
कंगाल बनाने वाला सबसे बड़ा दुश्मन कौन है?
उत्तर:-
क्रोध। कहा
जाता है जहाँ क्रोध है वहाँ पानी के मटके भी सूख जाते हैं। भारत का मटका जो
हीरे-जवाहरों से भरा हुआ था, वह इस भूत के कारण खाली हो गया है। इन भूतों ने ही
तुमको कंगाल बनाया है। क्रोधी मनुष्य खुद भी तपता है, दूसरों को भी तपाता है इसलिए
अब इस भूत को अन्तर्मुखी बन निकालो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने आप से पूछना है - हमारे में कोई भी भूत तो नहीं है?, आंखे
क्रिमिनल तो नहीं होती हैं?, ज़ोर से बोलने वा अशान्ति फैलाने का संस्कार तो नहीं
है?, लोभ-मोह का विकार सताता तो नहीं है?
2) किसी भी देहधारी से दिल नहीं लगाना है। देह सहित सब कुछ भूल याद की यात्रा से
स्वयं में रूहानी बल भरना है। एक बार भूतों को भगाकर आधाकल्प के लिए छुटकारा पाना
है
वरदान:-
ईश्वरीय विधान
को समझ विधि से सिद्धि प्राप्त करने वाले फर्स्ट डिवीजन के अधिकारी भव
एक कदम की हिम्मत तो पदम
कदमों की मदद, ड्रामा में इस विधान की विधि नूंधी हुई है। अगर यह विधि, विधान में
नहीं होती तो सभी विश्व के पहले राजा बन जाते। नम्बरवार बनने का विधान इस विधि के
कारण ही बनता है। तो जितना चाहे हिम्मत रखो और मदद लो। चाहे सरेन्डर हो, चाहे
प्रवृत्ति वाले हो - अधिकार समान है लेकिन विधि से सिद्धि है। इस ईश्वरीय विधान को
समझ अलबेलेपन की लीला को समाप्त करो तो फर्स्ट डिवीजन का अधिकार मिल जायेगा।
स्लोगन:-
संकल्प
के खजाने के प्रति एकानामी के अवतार बनो।