29-01-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हें अपने योगबल से ही विकर्म विनाश कर पावन बन पावन दुनिया बनानी है, यही तुम्हारी सेवा है''

प्रश्नः-
देवी-देवता धर्म की कौन-सी विशेषता गाई हुई है?

उत्तर:-
देवी-देवता धर्म ही बहुत सुख देने वाला है। वहाँ दु:ख का नाम-निशान नहीं। तुम बच्चे 3/4 सुख पाते हो। अगर आधा सुख, आधा दु:ख हो तो मज़ा ही न आये।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप समान प्यार का सागर बनना है। कभी किसी को दु:ख नहीं देना है। कड़ुवे बोल नहीं बोलने हैं। गन्दी आदतें मिटा देनी हैं।

2) बाबा से मीठी-मीठी बातें करते इसी फीलिंग में रहना है कि ओहो बाबा, आपने हमें क्या से क्या बना दिया! आपने हमें कितना सुख दिया है! बाबा, आप क्षीर सागर में ले चलते हो....... सारा दिन बाबा-बाबा याद रहे।

वरदान:-
सर्व सम्बन्ध और सर्व गुणों की अनुभूति में सम्पन्न बनने वाले सम्पूर्ण मूर्त भव

संगमयुग पर विशेष सर्व प्राप्तियों में स्वयं को सम्पन्न बनाना है इसलिए सर्व खजाने, सर्व सम्बन्ध, सर्वगुण और कर्तव्य को सामने रख चेक करो कि सर्व बातों में अनुभवी बने हैं। यदि किसी भी बात के अनुभव की कमी है तो उसमें स्वयं को सम्पन्न बनाओ। एक भी सम्बन्ध वा गुण की कमी है तो सम्पूर्ण स्टेज वा सम्पूर्ण मूर्त नहीं कहला सकते इसलिए बाप के गुणों वा अपने आदि स्वरूप के गुणों का अनुभव करो तब सम्पूर्ण मूर्त बनेंगे।

स्लोगन:-
जोश में आना भी मन का रोना है - अब रोने का फाइल खत्म करो।

अपनी शक्तिशाली मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो

मन्सा सेवा करने के लिए सर्व शक्तियों को अपने जीवन का अंग बना लो। ऐसे बाप समान परफेक्ट बनो जो अन्दर कोई डिफेक्ट न हो तब श्रेष्ठ संकल्पों की एकाग्रता द्वारा अर्थात् मन्सा द्वारा स्वत: सकाश फैलेगी।