29-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम फिर से अपने ठिकाने पर पहुँच गये हो, तुमने बाप द्वारा रचता और रचना को जान लिया है तो खुशी में रोमांच खड़े हो जाने चाहिए''

प्रश्नः-
इस समय बाप तुम बच्चों का श्रृंगार क्यों कर रहे हैं?

उत्तर:-
क्योंकि अभी हमें सज-धज कर विष्णुपुरी (ससुर-घर) में जाना है। हम इस ज्ञान से सजकर विश्व के महाराजा-महारानी बनते हैं। अभी संगमयुग पर हैं, बाबा टीचर बनकर पढ़ा रहे हैं - पियरघर से ससुरघर ले जाने के लिए।

गीत:-
आखिर वह दिन आया आज ......

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सवेरे-सवेरे अमृतवेले उठ ख्याल करना है - बाबा हमारा बाप भी है, टीचर भी है, अभी बाबा आया है हमारा ज्ञान रत्नों से श्रृंगार करने। वह बापों का बाप, पतियों का पति है, ऐसे ख्याल करते अपार खुशी का अनुभव करना है।

2) हर एक के पुरुषार्थ को साक्षी होकर देखना है, ऊंच पद की मार्जिन है इसलिए तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना है।

वरदान:-
वाइसलेस की शक्ति द्वारा सूक्ष्मवतन वा तीनों लोकों का अनुभव करने वाले श्रेष्ठ भाग्यवान भव

जिन बच्चों के पास वाइसलेस की शक्ति है, बुद्धियोग बिल्कुल रिफाइन है - ऐसे भाग्यवान बच्चे सहज ही तीनों लोकों का सैर कर सकते हैं। सूक्ष्मवतन तक अपने संकल्प पहुंचाने के लिए सर्व सम्बन्धों के सार वाली महीन याद चाहिए। यही सबसे पावरफुल तार है, इसके बीच में माया इन्टरफियर नहीं कर सकती है। तो सूक्ष्मवतन की रौनक का अनुभव करने के लिए स्वयं को वाइसलेस की शक्ति से सम्पन्न बनाओ।

स्लोगन:-
किसी व्यक्ति, वस्तु व वैभव के प्रति आकर्षित होना ही कम्पैनियन बाप को संकल्प से तलाक देना है।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

पवित्रता संगमयुगी ब्राह्मणों के महान जीवन की महानता है। पवित्रता ब्राह्मण जीवन का श्रेष्ठ श्रृंगार है। जैसे स्थूल शरीर में विशेष श्वांस चलना आवश्यक है। श्वांस नहीं तो जीवन नहीं। ऐसे ब्राह्मण जीवन का श्वांस है पवित्रता। 21 जन्मों की प्रालब्ध का आधार अर्थात् फाउन्डेशन पवित्रता है।