29-09-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र देने, जिससे तुम सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जानते हो''

प्रश्नः-
शेरनी शक्तियां ही कौन सी बात हिम्मत के साथ समझा सकती हैं?

उत्तर:-
दूसरे धर्म वालों को यह बात समझाना है कि बाप कहते हैं तुम अपने को आत्मा समझो, परमात्मा नहीं। आत्मा समझकर बाप को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे और तुम मुक्तिधाम में चले जायेंगे। परमात्मा समझने से तुम्हारे विकर्म विनाश नहीं हो सकते। यह बात बहुत हिम्मत से शेरनी शक्तियां ही समझा सकती हैं। समझाने का भी अभ्यास चाहिए।

गीत:-
नयन हीन को राह दिखाओ........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) यह पुरानी दुनिया अब खत्म होनी है इसलिए इस दुनिया का संन्यास करना है। दुनिया को छोड़कर कहाँ जाना नहीं है, लेकिन इसे बुद्धि से भूलना है।

2) निर्वाणधाम में जाने के लिए पूरा पावन बनना है। रचना के आदि-मध्य-अन्त को पूरा समझकर नई दुनिया में ऊंच पद पाना है।

वरदान:-
किसी भी आत्मा को प्राप्तियों की अनुभूति कराने वाले यथार्थ सेवाधारी भव

यथार्थ सेवा भाव अर्थात् सदा हर आत्मा के प्रति शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना का भाव। सेवा भाव अर्थात् हर आत्मा को भावना प्रमाण फल देना। सेवा अर्थात् किसी भी आत्मा को प्राप्ति का मेवा अनुभव कराना। ऐसी सेवा में तपस्या साथ-साथ है। जहाँ यथार्थ सेवा भाव है वहाँ तपस्या का भाव अलग नहीं। जिस सेवा में त्याग तपस्या नहीं वह है नामधारी सेवा, इसलिए त्याग तपस्या और सेवा के कम्बाइन्ड रूप द्वारा सच्चे यथार्थ सेवाधारी बनो।

स्लोगन:-
नम्रता और धैर्यता का गुण धारण करो तो क्रोधाग्नि भी शान्त हो जायेगी।

अव्यक्त इशारे - अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ

अभी निर्भय ज्वालामुखी बन प्रकृति और आत्माओं के अन्दर जो तमोगुण है उसे भस्म करो। तपस्या अर्थात् ज्वाला स्वरूप याद, इस याद द्वारा ही माया वा प्रकृति का विकराल रूप शीतल हो जायेगा। आपका तीसरा नेत्र, ज्वालामुखी नेत्र माया को शक्तिहीन कर देगा।