30-03-2025     प्रात:मुरली  ओम् शान्ति 30.11.2004 "बापदादा"    मधुबन


“अभी अपने चलन और चेहरे द्वारा ब्रह्मा बाप समान अव्यक्त रूप दिखाओ, साक्षात्कार मूर्त बनो''


वरदान:-
नम्रता और अथॉर्टी के बैलेन्स द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाले विशेष सेवाधारी भव

जहाँ बैलेन्स होता है वहाँ कमाल दिखाई देती है। जब आप नम्रता और सत्यता की अथॉर्टी के बैलेन्स से किसी को भी बाप का परिचय देंगे तो कमाल दिखाई देगी। इसी रूप से बाप को प्रत्यक्ष करना है। आपके बोल स्पष्ट हों, उसमें स्नेह भी हो, नम्रता और मधुरता भी हो तो महानता और सत्यता भी हो तब प्रत्यक्षता होगी। बोलते हुए बीच-बीच में अनुभव कराते जाओ जिससे लगन में मगन मूर्त अनुभव हो। ऐसे स्वरूप से सेवा करने वाले ही विशेष सेवाधारी हैं।

स्लोगन:-
समय पर कोई भी साधन न हो तो भी साधना में विघ्न न पड़े।

अव्यक्त इशारे - सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ

कोई-कोई समझते हैं शायद क्रोध कोई विकार नहीं है, यह शस्त्र है। लेकिन क्रोध ज्ञानी तू आत्मा के लिए महाशत्रु है क्योंकि क्रोध अनेक आत्माओं के संबंध, सम्पर्क में आने से प्रसिद्ध हो जाता है और क्रोध को देख करके बाप के नाम की बहुत ग्लानी होती है। कहने वाले यही कहते हैं, देख लिया ज्ञानी तू आत्मा बच्चों को, इसलिए इसके अंशमात्र को भी समाप्त कर सभ्यता पूर्वक व्यवहार करो।