30-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - आत्मा रूपी
बैटरी को ज्ञान और योग से भरपूर कर सतोप्रधान बनाना है, पानी के स्नान से नहीं''
प्रश्नः-
इस समय सभी
मनुष्य आत्माओं को भटकाने वाला कौन है? वह भटकाता क्यों है?
उत्तर:-
सभी को भटकाने
वाला रावण है क्योंकि वह खुद भी भटकता है। उसे अपना कोई घर नहीं है। रावण को कोई
बाबा नहीं कहेंगे। बाप तो परमधाम घर से आता है अपने बच्चों को ठिकाना देने। अभी
तुम्हें घर का पता चल गया इसलिए तुम भटकते नहीं हो। तुम कहते हो हम बाप से पहले-पहले
जुदा हुए अब फिर पहले-पहले घर जायेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देह के सब सम्बन्ध कैन्सिल कर आत्मा भाई-भाई हैं, यह निश्चय करना है
और बाप को याद कर पूरे वर्से का अधिकारी बनना है।
2) अब पाप आत्माओं से लेन-देन नहीं करनी है। अज्ञान नींद से सबको जगाना है,
शान्तिधाम-सुखधाम जाने का रास्ता बताना है।
वरदान:-
मन-बुद्धि की
एकाग्रता द्वारा सर्व सिद्धियां प्राप्त करने वाले सदा समर्थ आत्मा भव
सर्व सिद्धियों को प्राप्त
करने के लिए एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाओ। यह एकाग्रता की शक्ति सहज निर्विघ्न बना
देती है, मेहनत करने की आवश्यकता नहीं रहती। एक बाप दूसरा न कोई - इसका सहज अनुभव
होता है, सहज एकरस स्थिति बन जाती है। सर्व के प्रति कल्याण की वृत्ति, भाई-भाई की
दृष्टि रहती है। लेकिन एकाग्र होने के लिए इतना समर्थ बनो जो मन-बुद्धि सदा आपके
आर्डर अनुसार चले। स्वप्न में भी सेकण्ड मात्र भी हलचल न हो।
स्लोगन:-
कमल
पुष्प के समान न्यारे रहो तो प्रभू के प्यार का पात्र बन जायेंगे।