31-01-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - पुण्य आत्मा बनना है तो अपना पोतामेल देखो कि कोई पाप तो नहीं होता है, सच का खाता जमा है?''

प्रश्नः-
सबसे बड़ा पाप कौन-सा है?

उत्तर:-
किसी पर भी बुरी दृष्टि रखना - यह सबसे बड़ा पाप है। तुम पुण्य आत्मा बनने वाले बच्चे किसी पर भी बुरी दृष्टि (विकारी दृष्टि) नहीं रख सकते। जाँच करनी है हम कहाँ तक योग में रहते हैं? कोई पाप तो नहीं करते हैं? ऊंच पद पाना है तो खबरदारी रखो कि ज़रा भी कुदृष्टि न हो। बाप जो श्रीमत देते हैं उस पर पूरा चलते रहो।

गीत:-
मुखड़ा देख ले प्राणी.....

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अगर विनाशी धन है तो उसको सफल करने के लिए अलौकिक सेवा में लगाना है। अविनाशी धन का दान भी जरूर करना है।

2) अपने पोतामेल में देखना है कि हमारी अवस्था कैसी है? सारे दिन में कोई खराब काम तो नहीं होते हैं? एक-दो को दु:ख तो नहीं देते हैं? किसी पर कुदृष्टि तो नहीं जाती है?

वरदान:-
डबल लाइट बन सर्व समस्याओं को हाई जम्प दे पार करने वाले तीव्र पुरूषार्थी भव

सदा स्वयं को अमूल्य रत्न समझ बापदादा के दिल की डिब्बी में रहो अर्थात् सदा बाप की याद में समाये रहो तो किसी भी बात में मुश्किल का अनुभव नहीं करेंगे, सब बोझ समाप्त हो जायेंगे। इसी सहजयोग से डबल लाइट बन, पुरूषार्थ में हाई जम्प देकर तीव्र पुरूषार्थी बन जायेंगे। जब भी कोई मुश्किल का अनुभव हो तो बाप के सामने बैठ जाओ और बापदादा के वरदानों का हाथ स्वयं पर अनुभव करो इससे सेकण्ड में सर्व समस्याओं का हल मिल जायेगा।

स्लोगन:-
सहयोग की शक्ति असम्भव को भी सम्भव बना देती है। यही सेफ्टी का किला है।

अपनी शक्तिशाली मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो

समय प्रमाण चारों ओर सकाश देने का, वायब्रेशन्स देने का, मन्सा द्वारा वायुमण्डल बनाने का कार्य करना है। अभी इसी सेवा की आवश्यकता है। जैसे साकार रूप में देखा - कोई भी ऐसी लहर का समय जब आता था तो दिन-रात सकाश देने, निर्बल में बल भरने का अटेन्शन रहता था। समय निकाल आत्माओं को सकाश देने की सेवा चलती थी। ऐसे फॉलो फादर करो।