31-03-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम अभी
पुरानी दुनिया के गेट से निकलकर शान्तिधाम और सुखधाम में जा रहे हो, बाप ही
मुक्ति-जीवनमुक्ति का रास्ता बताते हैं''
प्रश्नः-
वर्तमान समय
सबसे अच्छा कर्म कौन सा है?
उत्तर:-
सबसे अच्छा
कर्म है मन्सा, वाचा, कर्मणा अन्धों की लाठी बनना। तुम बच्चों को विचार सागर मंथन
करना चाहिए कि ऐसा कौन-सा शब्द लिखें जो मनुष्यों को घर का (मुक्ति का) और
जीवनमुक्ति का रास्ता मिल जाए। मनुष्य सहज समझ लें कि यहाँ शान्ति सुख की दुनिया
में जाने का रास्ता बताया जाता है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) मन्सा-वाचा-कर्मणा कभी भी क्रोध नहीं करना है। इन तीनों खिड़कियों पर
बहुत ध्यान रखना है। वाचा अधिक नहीं चलाना है। एक-दो को दु:ख नहीं देना है।
2) ज्ञान और योग में मस्त रह अन्तिम सीन सीनरी देखनी हैं। अपने वा दूसरों के
नाम-रूप को भूल मैं आत्मा हूँ, इस स्मृति से देहभान को समाप्त करना है।
वरदान:-
स्नेह के वाण
द्वारा स्नेह में घायल करने वाले स्नेह और प्राप्ति सम्पन्न लवलीन आत्मा भव
जैसे लौकिक रीति से कोई
किसके स्नेह में लवलीन होता है तो चेहरे से, नयनों से, वाणी से अनुभव होता है कि यह
लवलीन है - आशिक है - ऐसे जब स्टेज पर जाते हो तो जितना अपने अन्दर बाप का स्नेह
इमर्ज होगा उतना ही स्नेह का वाण औरों को भी स्नेह में घायल कर देगा। भाषण की लिंक
सोचना, प्वाइंट दुहराना - यह स्वरूप नहीं हो, स्नेह और प्राप्ति का सम्पन्न स्वरूप,
लवलीन स्वरूप हो। अथॉर्टी होकर बोलने से उसका प्रभाव पड़ता है।
स्लोगन:-
सम्पूर्णता द्वारा समाप्ति के समय को समीप लाओ।
अव्यक्त इशारे -
सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ
यह तो सब समझने लगे
हैं कि यह ‘कोई हैं', लेकिन यही हैं और यह एक ही हैं, यह हलचल का हल अब चलाओ। अभी
और भी हैं, यह भी हैं यहाँ तक पहुंचे हैं लेकिन यह एक ही हैं, अभी ऐसा तीर लगाओ।
धरनी तो बन गई और बनती जायेगी। लेकिन जो फाउन्डेशन है, नवीनता है, बीज है, वह है नया
ज्ञान। नि:स्वार्थ प्यार है, रूहानी प्यार है यह तो अनुभव करते हैं लेकिन अभी प्यार
के साथ-साथ ज्ञान की अथॉरिटी वाली आत्मायें हैं, सत्य ज्ञान की अथॉरिटी हैं, यह
प्रत्यक्ष करो तब प्रत्यक्षता हो।