31-07-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें अपना
टाइम वेस्ट नहीं करना है, अन्दर में नॉलेज का सिमरण करते रहो तो निद्राजीत बन
जायेंगे, उबासी आदि नहीं आयेगी''
प्रश्नः-
तुम बच्चे बाप
पर फिदा क्यों हुए हो? फिदा होने का अर्थ क्या है?
उत्तर:-
फिदा होना
अर्थात् बाप की याद में समा जाना। जब याद में समा जाते हो तो आत्मा रूपी बैटरी
चार्ज हो जाती है। आत्मा रूपी बैटरी निराकार बाप से जुटती है, तो बैटरी चार्ज हो
जाती है, विकर्म विनाश हो जाते हैं। कमाई जमा हो जाती है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप से अविनाशी ज्ञान धन लेकर दूसरों को दान करना है। ज्ञान दान करने
में मनहूस नहीं बनना है। ज्ञान की प्वाइंट्स अन्दर टपकती रहें। राजा बनने के लिए
प्रजा जरूर बनानी है।
2) अपना पोतामेल देखना है - (क) मैं बाप समान प्रेम का सागर बना हूँ?
(ख) कभी किसी को नाराज़ तो नहीं करता हूँ? (ग) अपनी चलन पर पूरी नज़र है?
वरदान:-
ज्ञान के साथ
गुणों को इमर्ज कर सर्वगुण सम्पन्न बनने वाले गुणमूर्त भव
हर एक में ज्ञान बहुत है,
लेकिन अब आवश्यकता है गुणों को इमर्ज करने की, इसलिए विशेष कर्म द्वारा गुण दाता बनो।
संकल्प करो कि मुझे सदा गुणमूर्त बन सबको गुण मूर्त बनाने के कर्तव्य में तत्पर रहना
है। इससे व्यर्थ देखने, सुनने वा करने की फुर्सत नहीं मिलेगी। इस विधि से स्वयं की
वा सर्व की कमजोरियाँ सहज समाप्त हो जायेंगी। तो इसमें हर एक अपने को निमित्त अव्वल
नम्बर समझ सर्वगुण सम्पन्न बनने और बनाने का एक्जैम्पल बनो।
स्लोगन:-
मंसा
द्वारा योगदान, वाचा द्वारा ज्ञान दान और कर्मणा द्वारा गुणों का दान करो।