31-12-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप जो रोज़-रोज़ पढ़ाते हैं, यह पढ़ाई कभी मिस नहीं करनी है, इस पढ़ाई से ही अन्दर का संशय दूर होता है''

प्रश्नः-
बाप के दिल को जीतने की युक्ति क्या है?

उत्तर:-
बाप के दिल को जीतना है तो जब तक संगमयुग है तब तक बाप से कुछ भी छिपाओ नहीं। अपने कैरेक्टर्स पर पूरा-पूरा ध्यान दो। अगर कोई पाप कर्म हो जाता है तो अविनाशी सर्जन को सुनाओ तो हल्के हो जायेंगे। बाप जो शिक्षा देते हैं यही उनकी दया, कृपा वा आशीर्वाद है। तो बाप से दया व कृपा मांगने की बजाए स्वयं पर कृपा करो। ऐसा पुरुषार्थ कर बाप के दिल को जीत लो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कोई भी उल्टी-सुल्टी बातें करे तो सुना-अनसुना कर देना है। हियर नो ईविल... दु:ख-सुख, मान-अपमान सब कुछ सहन करना है।

2) बाप जो सुनाते हैं उसे कभी सुना-अनसुना कर बाप का डिसरिगार्ड नहीं करना है। माया की चोट से बचने के लिए अशरीरी रहने का अभ्यास जरूर करना है।

वरदान:-
बाप समान रहमदिल बन सबको क्षमा कर स्नेह देने वाले मास्टर दाता भव

जैसे बाप को रहमदिल, मर्सीफुल कहते हैं, ऐसे आप बच्चे भी मास्टर रहमदिल हो। जो रहमदिल हैं वही कल्याण कर सकते हैं, अकल्याण करने वाले को भी क्षमा कर सकते हैं। वह मास्टर स्नेह के सागर होते हैं, उनके पास स्नेह के बिना और कुछ है ही नहीं। वर्तमान समय सम्पत्ति से भी ज्यादा स्नेह की आवश्यकता है इसलिए मास्टर दाता बन सबको स्नेह देते चलो। कोई भी खाली हाथ न जाये।

स्लोगन:-
तीव्र पुरुषार्थी बनने की चाहना हो तो जहाँ चाह है वहाँ राह मिल जायेगी।