02-02-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 31.12.2003 "बापदादा" मधुबन
“इस वर्ष निमित्त और
निर्मान बन जमा के खाते को बढ़ाओ और अखण्ड महादानी बनो''
वरदान:-
फरिश्तेपन की
स्थिति द्वारा बाप के स्नेह का रिटर्न देने वाले समाधान स्वरूप भव
फरिश्ते पन की स्थिति
में स्थित होना - यही बाप के स्नेह का रिटर्न है, ऐसा रिटर्न देने वाले समाधान
स्वरूप बन जाते हैं। समाधान स्वरूप बनने से स्वयं की वा अन्य आत्माओं की समस्यायें
स्वत: समाप्त हो जाती हैं। तो अब ऐसी सेवा करने का समय है, लेने के साथ देने का समय
है। इसलिए अब बाप समान उपकारी बन, पुकार सुनकर अपने फरिश्ते रूप द्वारा उन आत्माओं
के पास पहुंच जाओ और समस्याओं से थकी हुई आत्माओं की थकावट उतारो।
स्लोगन:-
व्यर्थ से बेपरवाह बनो, मर्यादाओं में नहीं।
अव्यक्त-इशारे -
एकान्तप्रिय बनो एकता और एकाग्रता को अपनाओ
आपस के संस्कारों में
जो भिन्नता है उसे एकता में लाना है। एकता के लिए वर्तमान की भिन्नता को मिटाकर दो
बातें लानी पड़ेंगी - एक - एकनामी बन सदैव हर बात में एक का ही नाम लो, साथ-साथ
संकल्पों की, समय और ज्ञान खजाने की इकॉनामी करो। फिर मैं समाकर एक बाप में सभी
भिन्नता समा जायेगी।