04-04-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - अभी तुम
पुरुषोत्तम बनने का पुरुषार्थ करते हो, पुरुषोत्तम हैं देवतायें, क्योंकि वह हैं
पावन, तुम पावन बन रहे हो''
प्रश्नः-
बेहद के बाप
ने तुम बच्चों को शरण क्यों दी है?
उत्तर:-
क्योंकि हम सब
रिफ्युज़ के (किचड़े के) डिब्बे में पड़े हुए थे। बाप हमें किचड़े के डिब्बे से
निकाल गुल-गुल बनाते हैं। आसुरी गुण वालों को दैवी गुणवान बनाते हैं। ड्रामा अनुसार
बाप ने आकर हमें किचड़े से निकाल एडाप्ट कर अपना बनाया है।
गीत:-
यह कौन आया आज
सवेरे-सवेरे........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देवता बनने के लिए बहुत रॉयल संस्कार धारण करने हैं। खान-पान बहुत
शुद्ध और साधारण रखना है। लालच नहीं करनी है। अपना कल्याण करने के लिए दैवीगुण धारण
करने हैं।
2) अपने ऊपर ध्यान रखते, सबके साथ बहुत प्यार से चलना है। अपने से जो सीनियर
हैं, उनका रिगार्ड जरूर रखना है। बहुत-बहुत मीठा बनना है। देह-अभिमान में नहीं आना
है।
वरदान:-
बीती हुई बातों
को रहमदिल बन समाने वाले शुभ चिंतक भव
यदि किसी की बीती हुई
कमजोरी की बातें कोई सुनाये तो शुभ भावना से किनारा कर लो। व्यर्थ चिंतन या कमजोरी
की बातें आपस में नहीं चलनी चाहिए। बीती हुई बातों को रहमदिल बनकर समा लो। समाकर
शुभ भावना से उस आत्मा के प्रति मन्सा सेवा करते रहो। भले संस्कारों के वश कोई उल्टा
कहता, करता या सुनता है तो उसे परिवर्तन करो। एक से दो तक, दो से तीन तक ऐसे व्यर्थ
बातों की माला न हो जाए। ऐसा अटेन्शन रखना अर्थात् शुभ चिंतक बनना।
स्लोगन:-
सन्तुष्ट मणी बनो तो प्रभु प्रिय, लोकप्रिय और स्वयंप्रिय बन जायेंगे।
अव्यक्त इशारे -
“कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''
जैसे शरीर और आत्मा
कम्बाइन्ड है तो जीवन है। यदि आत्मा शरीर से अलग हो जाए तो जीवन समाप्त हो जाता। ऐसे
कर्मयोगी जीवन अर्थात् कर्म योग के बिना नहीं, योग कर्म के बिना नहीं। सदा
कम्बाइन्ड हो तो सफलता मिलती रहेगी।