14-01-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हारी
नज़र शरीरों पर नहीं जानी चाहिए, अपने को आत्मा समझो, शरीरों को मत देखो''
प्रश्नः-
हर एक
ब्राह्मण बच्चे को विशेष किन दो बातों पर ध्यान देना है?
उत्तर:-
1- पढ़ाई पर,
2- दैवी गुणों पर। कई बच्चों में क्रोध का अंश भी नहीं है, कोई तो क्रोध में आकर
बहुत लड़ते हैं। बच्चों को ख्याल करना चाहिए कि हमको दैवीगुण धारण करके देवता बनना
है। कभी गुस्से में आकर बातचीत नहीं करनी चाहिए। बाबा कहते किसी बच्चे में क्रोध है
तो वह भूतनाथ-भूतनाथिनी है। ऐसे भूत वालों से तुम्हें बात भी नहीं करनी है।
गीत:-
तकदीर जगाकर
आई हूँ........ .
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान का सिमरण कर अतीन्द्रिय सुख में रहना है। किसी से भी रफढफ
बातचीत नहीं करनी है। कोई गुस्से से बात करे तो उससे किनारा कर लेना है।
2) भगवान का वारिस बनने के लिए पहले उन्हें अपना वारिस बनाना है। समझदार बन अपना
सब बाप हवाले कर ममत्व मिटा देना है। अपने ऊपर आपेही रहम करना है।
वरदान:-
साक्षी हो ऊंची
स्टेज द्वारा सर्व आत्माओं को सकाश देने वाले बाप समान अव्यक्त फरिश्ता भव
चलते फिरते सदैव अपने को
निराकारी आत्मा और कर्म करते अव्यक्त फरिश्ता समझो तो सदा खुशी में ऊपर उड़ते रहेंगे।
फरिश्ता अर्थात् ऊंची स्टेज पर रहने वाला। इस देह की दुनिया में कुछ भी होता रहे
लेकिन साक्षी हो सब पार्ट देखते रहो और सकाश देते रहो। सीट से उतरकर सकाश नहीं दी
जाती। ऊंची स्टेज पर स्थित होकर वृत्ति, दृष्टि से सहयोग की, कल्याण की सकाश दो,
मिक्स होकर नहीं तब किसी भी प्रकार के वातावरण से सेफ रह बाप समान अव्यक्त फरिश्ता
भव के वरदानी बनेंगे।
स्लोगन:-
याद बल
द्वारा दु:ख को सुख में और अशान्ति को शान्ति में परिवर्तन करो।
अपनी शक्तिशाली
मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो
अपनी शुभ भावना,
श्रेष्ठ कामना, श्रेष्ठ वृति, श्रेष्ठ वायब्रेशन द्वारा किसी भी स्थान पर रहते हुए
मन्सा द्वारा अनेक आत्माओं की सेवा कर सकते हो। इसकी विधि है - लाइट हाउस, माइट
हाउस बनना। इसमें स्थूल साधन, चान्स वा समय की प्राब्लम नहीं है। सिर्फ लाइट-माइट
से सम्पन्न बनने की आवश्यकता है।