18-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे -
सर्वशक्तिमान् बाप से बुद्धियोग लगाने से शक्ति मिलेगी, याद से ही आत्मा रूपी बैटरी
चार्ज होती है, आत्मा पवित्र सतोप्रधान बन जाती है''
प्रश्नः-
संगमयुग पर
तुम बच्चे कौन-सा पुरूषार्थ करते हो जिसकी प्रालब्ध में देवता पद मिलता है?
उत्तर:-
संगम पर हम
शीतल बनने का पुरूषार्थ करते हैं। शीतल अर्थात् पवित्र बनने से हम देवता बन जाते
हैं। जब तक शीतल न बनें तब तक देवता भी बन नहीं सकते। संगम पर शीतल देवियां बन सब
पर ज्ञान के ठण्डे छींटे डाल सबको शीतल करना है। सबकी तपत बुझानी है। खुद भी शीतल
बनना है और सबको भी बनाना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सूर्यवंशी में पहले-पहले आने के लिए निश्चयबुद्धि बन फुल मार्क्स लेनी
हैं। पक्का ब्राह्मण बनना है। बेहद की नॉलेज स्मृति में रखनी है।
2) ज्ञान चिता पर बैठ शीतल अर्थात् पवित्र बनना है। ज्ञान और योग से काम की तपत
समाप्त करनी है। बुद्धियोग सदा एक बाप की तरफ लटका रहे।
वरदान:-
ब्राह्मण जीवन
में श्रेष्ठ स्थिति रूपी मैडल प्राप्त करने वाले बेगमपुर के बादशाह भव
आप सब अपनी स्वस्थिति अच्छे
से अच्छी बनाने के लिए ही ब्राह्मण बने हो। ब्राह्मण जीवन में श्रेष्ठ स्थिति ही
आपकी प्रापर्टी है। यही ब्राह्मण जीवन का मैडल है। जो यह मैडल प्राप्त कर लेते हैं
वह सदा अचल अडोल एक-रस स्थिति में रहते, सदा निश्चिंत, बेगमपुर के बादशाह बन जाते
हैं। वे सर्व इच्छाओं से मुक्त, इच्छा मात्रम् अविद्या स्वरूप होते हैं।
स्लोगन:-
अटूट
निश्चय और फलक से कहो “मेरा बाबा'' तो माया समीप भी नहीं आ सकती।