19-11-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हारी
याद बहुत वन्डरफुल है क्योंकि तुम एक साथ ही बाप, टीचर और सतगुरू तीनों को याद करते
हो''
प्रश्नः-
किसी भी बच्चे
को माया जब मगरूर बनाती है तो किस बात की डोंटकेयर करते हैं?
उत्तर:-
मगरूर बच्चे
देह-अभिमान में आकर मुरली को डोन्ट-केयर करते है, कहावत है ना - चूहे को हल्दी की
गांठ मिली, समझा मै पंसारी हूँ...। बहुत हैं जो मुरली पढ़ते ही नहीं, कह देते हैं
हमारा तो डायरेक्ट शिवबाबा से कनेक्शन हैं। बाबा कहते बच्चे मुरली में तो नई-नई बातें
निकलती हैं इसलिए मुरली कभी मिस नहीं करना, इस पर बहुत अटेन्शन रहे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विनाशी नशे को छोड़ अलौकिक नशा रहे कि हम अभी वर्थ नाट पेनी से वर्थ
पाउण्ड बन रहे है। स्वयं भगवान् हमें पढ़ाते हैं, हमारी पढ़ाई अनकॉमन है।
2) आस्तिक बन बाप का शो करने वाली सर्विस करनी है। कभी भी मगरूर बन मुरली मिस नहीं
करनी है।
वरदान:-
पवित्रता के
फाउन्डेशन द्वारा सदा श्रेष्ठ कर्म करने वाली पूज्य आत्मा भव
पवित्रता पूज्य बनाती है।
पूज्य वही बनते हैं जो सदा श्रेष्ठ कर्म करते हैं। लेकिन पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य
नहीं। मन्सा संकल्प में भी किसी के प्रति निगेटिव संकल्प उत्पन्न न हो। बोल भी
अयथार्थ न हो। सम्बन्ध-सम्पर्क में भी फ़र्क न हो, सबके साथ अच्छा एक जैसा सम्बन्ध
हो। मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी में भी पवित्रता खण्डित न हो तब कहेंगे पूज्य आत्मा।
मैं परम पूज्य आत्मा हूँ - इस स्मृति से पवित्रता का फाउन्डेशन मजबूत बनाओ।
स्लोगन:-
सदा इसी
अलौकिक नशे में रहो “वाह रे मैं'' तो मन और तन से नेचुरल खुशी की डांस करते रहेंगे।