19-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यह
पुरूषोत्तम संगमयुग ट्रांसफर होने का युग है, अभी तुम्हें कनिष्ट से उत्तम पुरूष
बनना है''
प्रश्नः-
बाप के
साथ-साथ किन बच्चों की भी महिमा गाई जाती है?
उत्तर:-
जो टीचर बन
बहुतों का कल्याण करने के निमित्त बनते हैं, उनकी महिमा भी बाप के साथ-साथ गाई जाती
है। करन-करावनहार बाबा बच्चों से अनेकों का कल्याण कराते हैं तो बच्चों की भी महिमा
हो जाती है। कहते हैं - बाबा, फलाने ने हमारे पर दया की, जो हम क्या से क्या बन गये!
टीचर बनने बिगर आशीर्वाद मिल नहीं सकती।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा इसी स्मृति में रहना है कि हम आत्मा मेल हैं, हमें बाप से पूरा
वर्सा लेना है। मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है।
2) सारी दुनिया में जो भी एक्ट चलती है, यह सब बना-बनाया ड्रामा है, इसमें
पुरूषार्थ और प्रालब्ध दोनों की नूँध है। पुरूषार्थ के बिना प्रालब्ध नहीं मिल सकती,
इस बात को अच्छी तरह समझना है।
वरदान:-
कोई भी सेवा
सच्चे मन से वा लगन से करने वाले सच्चे रूहानी सेवाधारी भव
सेवा कोई भी हो लेकिन वह
सच्चे मन से, लगन से की जाए तो उसकी 100 मार्क्स मिलती हैं। सेवा में चिड़चिड़ा-पन
न हो, सेवा काम उतारने के लिए न की जाए। आपकी सेवा है ही बिगड़ी को बनाना, सबको सुख
देना, आत्माओं को योग्य और योगी बनाना, अपकारियों पर उपकार करना, समय पर हर एक को
साथ वा सहयोग देना, ऐसी सेवा करने वाले ही सच्चे रूहानी सेवाधारी हैं।
स्लोगन:-
पवित्रता ही ब्राह्मण जीवन की नवीनता है, यही ज्ञान का फाउण्डेशन है।