20-04-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 18.01.2005 "बापदादा" मधुबन
सेकेण्ड में देहभान
से मुक्त हो जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव करो और मास्टर मुक्ति-जीवनमुक्ति दाता बनो
वरदान:-
सभी को ठिकाना
देने वाले रहमदिल बाप के बच्चे रहमदिल भव
रहमदिल बाप के रहमदिल
बच्चे किसी को भी भिखारी के रूप में देखेंगे तो उन्हें रहम आयेगा कि इस आत्मा को भी
ठिकाना मिल जाए, इसका भी कल्याण हो जाए। उनके सम्पर्क में जो भी आयेगा उसे बाप का
परिचय जरूर देंगे। जैसे कोई घर में आता है तो पहले उसे पानी पूछा जाता है, ऐसे ही
चला जाए तो बुरा समझते हैं, ऐसे जो भी सम्पर्क में आता है उसे बाप के परिचय का पानी
जरूर पूछो अर्थात् दाता के बच्चे दाता बनकर कुछ न कुछ दो ताकि उसे भी ठिकाना मिल
जाए।
स्लोगन:-
यथार्थ वैराग्य वृत्ति का सहज अर्थ है - जितना न्यारा उतना प्यारा।
अव्यक्त इशारे -
“कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''
मैं और मेरा बाबा, इसी
स्मृति में कम्बाइन्ड रहो तो मायाजीत बन जायेंगे। करन-करावनहार - इस शब्द में बाप
और बच्चे दोनों कम्बाइन्ड हैं। हाथ बच्चों का और काम बाप का। हाथ बढ़ाने का गोल्डन
चांस बच्चों को ही मिलता है। लेकिन अनुभव होता है कि कराने वाला करा रहा है।
निमित्त बनाए चला रहा है - यही आवाज सदा मन से निकलता है।