20-06-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अब चने मुट्ठी के पीछे अपना समय बरबाद नहीं करो, अब बाप के मददगार बन बाप का नाम बाला करो''

प्रश्नः-
इस ज्ञान मार्ग में तुम्हारे कदम आगे बढ़ रहे हैं, उसकी निशानी क्या है?

उत्तर:-
जिन बच्चों को शान्तिधाम और सुखधाम सदा याद रहता है। याद के समय बुद्धि कहाँ पर भी भटकती नहीं है, बुद्धि में व्यर्थ के ख्यालात नहीं आते, बुद्धि एकाग्र है, झुटका नहीं खाते, खुशी का पारा चढ़ा हुआ है तो इससे सिद्ध है कि कदम आगे बढ़ रहे हैं।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) चने मुट्ठी छोड़ बाप से विश्व की बादशाही लेने का पूरा पुरूषार्थ करना है। किसी भी बात में डरना नहीं है, निडर बन बंधनों से मुक्त होना है। अपना समय सच्ची कमाई में सफल करना है।

2) इस दु:खधाम को भूल शिवालय अर्थात् शान्तिधाम, सुखधाम को याद करना है। माया के विघ्नों को जान उनसे सावधान रहना है।

वरदान:-
गीता का पाठ पढ़ने और पढ़ाने वाले नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप भव

गीता ज्ञान का पहला पाठ है - अशरीरी आत्मा बनो और अन्तिम पाठ है नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप बनो। पहला पाठ है विधि और अन्तिम पाठ है विधि से सिद्धि। तो हर समय पहले स्वयं यह पाठ पढ़ो फिर औरों को पढ़ाओ। ऐसा श्रेष्ठ कर्म करके दिखाओ जो आपके श्रेष्ठ कर्मो को देख अनेक आत्मायें श्रेष्ठ कर्म करके अपने भाग्य की रेखा श्रेष्ठ बना सकें।

स्लोगन:-
परमात्म स्नेह में समाये रहो तो मेहनत से मुक्त हो जायेंगे।