21-06-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - देवता बनने के पहले तुम्हें ब्राह्मण जरूर बनना है, ब्रह्मा मुख सन्तान ही सच्चे ब्राह्मण हैं जो राजयोग की पढ़ाई से देवता बनते हैं''

प्रश्नः-
दूसरे सभी सतसंगों से तुम्हारा यह सतसंग किस बात में निराला है?

उत्तर:-
दूसरे सतसंगों में कोई भी एम ऑबजेक्ट नहीं होती है, और ही धन-दौलत आदि सब कुछ गंवा कर भटकते रहते हैं। इस सतसंग में तुम भटकते नहीं हो। यह सतसंग के साथ-साथ स्कूल भी है। स्कूल में पढ़ना होता, भटकना नहीं। पढ़ाई माना कमाई। जितना तुम पढ़कर धारण करते और कराते हो उतनी कमाई है। इस सतसंग में आना माना फ़ायदा ही फ़ायदा।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान का सिमरण कर स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। स्वदर्शन चक्र फिराते पापों को काटना है। डबल अहिंसक बनना है।

2) अपनी बुद्धि को स्वच्छ पवित्र बनाकर राजयोग की पढ़ाई पढ़नी है और ऊंच पद पाना है। दिल में सदा यही खुशी रहे कि हम सत्य नारायण की सच्ची-सच्ची कथा सुनकर मनुष्य से देवता बनते हैं।

वरदान:-
मन-बुद्धि को आर्डर प्रमाण विधिपूर्वक कार्य में लगाने वाले निरन्तर योगी भव

निरन्तर योगी अर्थात् स्वराज्य अधिकारी बनने का विशेष साधन मन और बुद्धि है। मंत्र ही मन्मनाभव का है। योग को बुद्धियोग कहते हैं। तो अगर यह विशेष आधार स्तम्भ अपने अधिकार में हैं अर्थात् आर्डर प्रमाण विधि-पूर्वक कार्य करते हैं। जो संकल्प जब करना चाहो वैसा संकल्प कर सको, जहाँ बुद्धि को लगाना चाहो वहाँ लगा सको, बुद्धि आप राजा को भटकाये नहीं। विधिपूर्वक कार्य करे तब कहेंगे निरन्तर योगी।

स्लोगन:-
मास्टर विश्व शिक्षक बनो, समय को शिक्षक नहीं बनाओ।