21-12-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - सच्ची कमाई करने का पुरुषार्थ पहले स्वयं करो फिर अपने मित्र-सम्बन्धियों को भी कराओ चैरिटी बिगेन्स एट होम''

प्रश्नः-
सुख अथवा चैन प्राप्त करने की विधि क्या है?

उत्तर:-
पवित्रता। जहाँ पवित्रता है वहाँ सुख-चैन है। बाप पवित्र दुनिया सतयुग की स्थापना करते हैं। वहाँ विकार होते नहीं। जो देवताओं के पुजारी हैं वह कभी ऐसा प्रश्न नहीं कर सकते कि विकारों बिगर दुनिया कैसे चलेगी? अभी तुम्हें चैन की दुनिया में चलना है इसलिए इस पतित दुनिया को भूलना है। शान्तिधाम और सुखधाम को याद करना है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस पुरानी दुनिया को बुद्धि से भुलाने के लिए चलते-फिरते अपने को शान्तिधाम का वासी समझना है। शान्तिधाम और सुखधाम को याद कर सच्ची कमाई करनी है और दूसरों को भी करानी है।

2) राजयोग की तपस्या कर स्वयं को पुण्य आत्मा बनाना है। माया का सिर काटने के लिए स्वदर्शन चक्र सदा फिरता रहे।

वरदान:-
सम्पन्नता द्वारा सदा सन्तुष्टता का अनुभव करने वाले सम्पत्तिवान भव

स्वराज्य की सम्पत्ति है ज्ञान, गुण और शक्तियां। जो इन सर्व सम्पत्तियों से सम्पन्न स्वराज्य अधिकारी हैं वह सदा सन्तुष्ट हैं। उनके पास अप्राप्ति का नाम निशान नहीं। हद के इच्छाओं की अविद्या - इसको कहा जाता है सम्पत्ति-वान। वह सदा दाता होंगे, मंगता नहीं। वे अखण्ड सुख-शान्तिमय स्वराज्य के अधिकारी होते हैं। किसी भी प्रकार की परिस्थिति उनके अखण्ड शान्ति को खण्डित नहीं कर सकती।

स्लोगन:-
ज्ञान नेत्र से तीनों कालों और तीनों लोकों को जानने वाले मास्टर नॉलेजफुल हैं।