22-06-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - यहाँ तुम बदलने के लिए आये हो, तुम्हें आसुरी गुणों को बदल दैवी गुण धारण करने हैं, यह देवता बनने की पढ़ाई है''

प्रश्नः-
तुम बच्चे कौन-सी पढ़ाई बाप से ही पढ़ते हो, दूसरा कोई पढ़ा नहीं सकता?

उत्तर:-
मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई, अपवित्र से पवित्र बनकर नई दुनिया में जाने की पढ़ाई एक बाप के सिवाए और कोई भी पढ़ा नहीं सकता। बाप ही सहज ज्ञान और राजयोग की पढ़ाई द्वारा पवित्र प्रवृत्ति मार्ग स्थापन करते हैं।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रेष्ठ राज्य स्थापन करने के लिए श्रीमत पर चलकर बाप का मददगार बनना है। जैसे देवतायें निर्विकारी हैं, ऐसे गृहस्थ में रहते निर्विकारी बनना है। पवित्र प्रवृत्ति बनानी है।

2) ड्रामा की प्वाइंट को उल्टे रूप से यूज़ नहीं करना है। ड्रामा कहकर बैठ नहीं जाना है। पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है। पुरूषार्थ से अपनी श्रेष्ठ प्रालब्ध बनानी है।

वरदान:-
कमल पुष्प का सिम्बल बुद्धि में रख, अपने को सैम्पुल समझने वाले न्यारे और प्यारे भव

प्रवृत्ति में रहने वालों का सिम्बल है “कमल पुष्प''। तो कमल बनो और अमल करो। अगर अमल नहीं करते तो कमल नहीं बन सकते। तो कमल पुष्प का सिम्बल बुद्धि में रख स्वयं को सैम्पुल समझकर चलो। सेवा करते न्यारे और प्यारे बनो। सिर्फ प्यारे नहीं बनना लेकिन न्यारे बन प्यारे बनना क्योंकि प्यार कभी लगाव के रूप में बदल जाता है, इसलिए कोई भी सेवा करते न्यारे और प्यारे बनो।

स्लोगन:-
स्नेह की छत्रछाया के अन्दर माया आ नहीं सकती।