23-06-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 19.03.20 "बापदादा" मधुबन
“निर्माण और निर्मान
के बैलेन्स से दुआओं का खाता जमा करो''
वरदान:-
मधुरता द्वारा
बाप की समीपता का साक्षात्कार कराने वाले महान आत्मा भव
जिन बच्चों के संकल्प
में भी मधुरता, बोल में भी मधुरता और कर्म में भी मधुरता है वही बाप के समीप हैं।
इसलिए बाप भी उन्हें रोज़ कहते हैं मीठे-मीठे बच्चे और बच्चे भी रेसपान्ड देते हैं
- मीठे-मीठे बाबा। तो यह रोज़ का मधुर बोल मधुरता सम्पन्न बना देता है। ऐसे मधुरता
को प्रत्यक्ष करने वाली श्रेष्ठ आत्मायें ही महान हैं। मधुरता ही महानता है। मधुरता
नहीं तो महानता का अनुभव नहीं होता।
स्लोगन:-
कोई भी कार्य डबल लाइट बनकर करो तो मनोरंजन का अनुभव करेंगे।