25-04-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बाप की
श्रीमत तुम्हें सदा सुखी बनाने वाली है, इसलिए देहधारियों की मत छोड़ एक बाप की
श्रीमत पर चलो''
प्रश्नः-
किन बच्चों की
बुद्धि का भटकना अभी तक बन्द नहीं हुआ है?
उत्तर:-
जिन्हें ऊंच
ते ऊंच बाप की मत में वा ईश्वरीय मत में भरोसा नहीं है, उनका भटकना अभी तक बन्द नहीं
हुआ। बाप में पूरा निश्चय न होने के कारण दोनों तरफ पांव रखते हैं। भक्ति, गंगा
स्नान आदि भी करेंगे और बाप की मत पर भी चलेंगे। ऐसे बच्चों का क्या हाल होगा!
श्रीमत पर पूरा नहीं चलते इसलिए धक्का खाते हैं।
गीत:-
इस पाप की
दुनिया से........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) तेरी-मेरी की चिंताओं को छोड़ आपसमान बनाने की सेवा करनी है। एक बाप
से ही सुनना है, बाप को ही याद करना है, व्यभिचारी नहीं बनना है।
2) अपने कल्याण के लिए खान-पान की बहुत परहेज़ रखनी है - किसी भी चीज़ में लोभ
नहीं रखना है। ध्यान रहे माया कोई भी उल्टा काम न करा दे।
वरदान:-
निर्णय शक्ति
और कन्ट्रोलिंग पावॅर द्वारा सदा सफलतामूर्त भव
किसी भी लौकिक या अलौकिक
कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए विशेष कन्ट्रोलिंग पावर और जजमेंट पावर की
आवश्यकता होती है क्योंकि जब कोई भी आत्मा आपके सम्पर्क में आती है तो पहले जज करना
होता कि इसे किस चीज़ की जरूरत है, नब्ज द्वारा परख कर उसकी चाहना प्रमाण उसे तृप्त
करना और स्वयं की कन्ट्रोलिंग पावर से दूसरे पर अपनी अचल स्थिति का प्रभाव डालना -
यही दोनों शक्तियां सेवा के क्षेत्र में सफलतामूर्त बना देती हैं।
स्लोगन:-
सर्व
शक्तिमान को साथी बना लो तो माया पेपर टाइगर बन जायेगी।
अव्यक्त इशारे -
“कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''
सेवा के क्षेत्र
में जो भिन्न-भिन्न प्रकार के स्व प्रति वा सेवा के प्रति विघ्न आते हैं, उसका भी
कारण सिर्फ यही होता है, जो स्वयं को सिर्फ सेवाधारी समझते हो लेकिन ईश्वरीय
सेवाधारी हूँ, सिर्फ सर्विस पर नहीं लेकिन गॉडली सर्विस पर हूँ - इसी स्मृति से याद
और सेवा स्वत: ही कम्बाइन्ड हो जाती है।