26-06-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
मीठे बच्चे - सदा इसी नशे
में रहो कि हमारा पद्मापद्म भाग्य है, जो पतित-पावन बाप के हम बच्चे बने हैं, उनसे
हमें बेहद सुख का वर्सा मिलता है
प्रश्नः-
तुम बच्चों को
किसी भी धर्म से घृणा वा ऩफरत नहीं हो सकती है - क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि तुम
बीज और झाड़ को जानते हो। तुम्हें पता है यह मनुष्य सृष्टि रूपी बेहद का झाड़ है
इसमें हर एक का अपना-अपना पार्ट है। नाटक में कभी भी एक्टर्स एक-दूसरे से घृणा नहीं
करेंगे। तुम जानते हो हमने इस नाटक में हीरो-हीरोइन का पार्ट बजाया। हमने जो सुख
देखे, वह और कोई देख नहीं सकता। तुम्हें अथाह खुशी है कि सारे विश्व पर राज्य करने
वाले हम हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) संगमयुग पर डायरेक्ट भगवान् से पढ़ाई पढ़कर, ज्ञानवान आस्तिक बनना और
बनाना है। कभी भी बाप वा पढ़ाई में संशय नहीं लाना है।
2) बाप समान लवली बनना है। भगवान् हमारा श्रृंगार कर रहे हैं, इस खुशी में रहना
है। किसी भी एक्टर से घृणा वा ऩफरत नहीं करनी है। हरेक का इस ड्रामा में एक्यूरेट
पार्ट है।
वरदान:-
सेवाओं की
प्रवृत्ति में रहते बीच-बीच में एकान्तवासी बनने वाले अन्तर्मुखी भव
साइलेन्स की शक्ति का
प्रयोग करने के लिए अन्तर्मुखी और एकान्तवासी बनने की आवश्यकता है। कई बच्चे कहते
हैं अन्तर्मुखी स्थिति का अनुभव करने वा एकान्तवासी बनने के लिए समय ही नहीं मिलता
क्योंकि सेवा की प्रवृत्ति, वाणी के शक्ति की प्रवृत्ति बहुत बढ़ गई है लेकिन इसके
लिए इक्ट्ठा आधा घण्टा वा एक घण्टा निकालने के बजाए बीच-बीच में थोड़ा समय भी निकालो
तो शक्तिशाली स्थिति बन जायेगी।
स्लोगन:-
ब्राह्मण जीवन में युद्ध करने के बजाए मौज मनाओ तो मुश्किल भी सहज हो जायेगा।