27-06-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें
शरीर से अलग होकर बाप के पास जाना है, तुम शरीर को साथ नहीं ले जायेंगे, इसलिए शरीर
को भूल आत्मा को देखो''
प्रश्नः-
तुम बच्चे अपनी
आयु को योगबल से बढ़ाने का पुरूषार्थ क्यों करते हो?
उत्तर:-
क्योंकि
तुम्हारी दिल होती है कि हम बाप द्वारा सब कुछ इस जन्म में जान जायें। बाप द्वारा
सब कुछ सुन लें, इसलिए तुम योगबल से अपनी आयु को बढ़ाने का पुरूषार्थ करते हो। अभी
ही तुम्हें बाप से प्यार मिलता है। ऐसा प्यार फिर सारे कल्प में नहीं मिल सकता। बाकी
जो शरीर छोड़कर चले गये, उनके लिए कहेंगे ड्रामा। उनका इतना ही पार्ट था।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप का सन्देश सुनाकर सबके दु:ख दूर करने हैं। सबको सुख का रास्ता
बताना है। हदों से निकल बेहद में जाना है।
2) अन्त के सब साक्षात्कार करने के लिए तथा बाप के प्यार की पालना लेने के लिए
ज्ञान-योग में मजबूत बनना है। दूसरों का चिन्तन न कर योगबल से अपनी आयु बढ़ानी है।
वरदान:-
अलबेलेपन वा
अटेन्शन के अभिमान को छोड़ बाप की मदद के पात्र बनने वाले सहज पुरुषार्थी भव
कई बच्चे हिम्मत रखने के
बजाए अलबेलेपन के कारण अभिमान में आ जाते हैं कि हम तो सदा पात्र हैं ही। बाप हमें
मदद नहीं करेंगे तो किसको करेंगे! इस अभिमान के कारण हिम्मत की विधि को भूल जाते
हैं। कईयों में फिर स्वयं पर अटेन्शन देने का भी अभिमान रहता जो मदद से वंचित कर
देता है। समझते हैं हमने तो बहुत योग लगा लिया, ज्ञानी-योगी तू आत्मा बन गये, सेवा
की राजधानी बन गई..इस प्रकार के अभिमान को छोड़ हिम्मत के आधार पर मदद के पात्र बनो
तो सहज पुरुषार्थी बन जायेंगे।
स्लोगन:-
जो
वेस्ट और निगेटिव संकल्प चलते हैं उन्हें परिवर्तन कर विश्व कल्याण के कार्य में
लगाओ।