29-10-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - आत्मा से
विकारों का किचड़ा निकाल शुद्ध फूल बनो। बाप की याद से ही सारा किचड़ा निकलेगा''
प्रश्नः-
पवित्र बनने
वाले बच्चों को किस एक बात में बाप को फालो करना है?
उत्तर:-
जैसे बाप
परम-पवित्र है वह कभी अपवित्र किचड़े वालों के साथ मिक्सअप नहीं होता, बहुत-बहुत
पोड (पवित्र) है। ऐसे आप पवित्र बनने वाले बच्चे बाप को फालो करो, सी नो ईविल।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सर्विस में बड़ा एक्यूरेट रहना है। दिन-रात सर्विस की उछल आती रहे।
सर्विस को छोड़ कभी भी आराम नहीं करना है। बाप समान कल्याणकारी बनना है।
2) एक की याद से प्रीत बुद्धि बन अन्दर का किचड़ा निकाल देना है। खुशबूदार फूल
बनना है। इस किचड़े की दुनिया से दिल नहीं लगानी है।
वरदान:-
मन-बुद्धि
द्वारा श्रेष्ठ स्थितियों रूपी आसन पर स्थित रहने वाले तपस्वीमूर्त भव
तपस्वी सदा कोई न कोई आसन
पर बैठकर तपस्या करते हैं। आप तपस्वी आत्माओं का आसन है - एकरस स्थिति, फरिश्ता
स्थिति.. इन्हीं श्रेष्ठ स्थितियों में स्थित होना अर्थात् आसन पर बैठना। स्थूल आसन
पर तो स्थूल शरीर बैठता है लेकिन आप इस श्रेष्ठ आसन पर मन बुद्धि को बिठाते हो। वे
तपस्वी एक टांग पर खड़े हो जाते और आप एकरस स्थिति में एकाग्र हो जाते हो। उन्हों
का है हठयोग और आपका है सहजयोग।
स्लोगन:-
प्यार
के सागर बाप के बच्चे प्रेम की भरपूर गंगा बनकर रहो।